
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“क़ुर्आन व हदीष में बड़ी अहमियत(महत्वता) के साथ इस हक़ीक़त (वास्तविकता) का एलान(घोषणा) किया गया है के दीन आसान है अर्थात् वह पूर्ण रूप स(सरासर) सुविधा से भरा हुवा और आसानी है, लिहाज़ा जो चीजें दीन में जिस दरजा ज़रूरी होगी वह उसी दरजे में सहल और आसान होनी चाहिए. पस तसहीहे निय्यत(निय्यत को दुरूस्त करना) और इख़लास लिल्लाह(हर काम अल्लाह तआला के लिए करना). चुंके दीन में बहुत ज़रूरी है बलके वही सारे उमूरे दीन(दीन के कामों) की रूह है इसलिए वह बेहद सहल(आसान) है. और यही “इख़लास लिल्लाह”(हर काम अल्लाह तआला के लिए करना) चुंके सारे “सुलूक” और “तरीक़”(पूरे दीन) का हासील(नीचोड़) है, इसलिए मालूम हुवा के सुलूक(पूरे दीन पर चलना) भी बहुत आसान चीज़ है.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं-१२)
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