हज़रत शैख़ मौलाना मुहमंद ज़करिया(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“तुम लोग अल्लाह अल्लाह करते रहो मगर यहां से जाने के बाद अकषर लोग शिकायत लिखते रहते हैं के वहां से आने के बाद अब वह अषरात नहीं रहे, लेकिन अगर यहां का माहौल अपने मक़ाम पर क़ाईम करो तो वह अषरात बाक़ी रहेंगे, यहां पर माहौल का अषर है. मामूलात की पाबंदी तरक़्क़ियात का ज़ीना है.”
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