एतेकाफ़ की हालत में मोबाईल का इस्तेमाल

सवाल – अगर कोई आदमी एतेकाफ़ के दौरान मस्जिद में किसी अहम काम के लिए मोबाईल फ़ोन इस्तेमाल करे, तो क्या उस के लिए इस तरह करना  जाईज़ है और उस के एतेकाफ़ पर कोई अषर नही पड़ेगा ? में जानता हुं के एतेकाफ़ के दौरान मोबाईल फ़ोन के साथ खेलना दुरूस्त नहीं है और उस से एतेकाफ़ की बरकत ख़तम हो जाती है, लेकिन क्या ज़रूरत के समय मोतकिफ के लिए मोबाईल फ़ोन का इस्तेमाल करना जाईज़ है या नही ?

जवाब – ज़रूरत के समय मोतकिफ के लिए मोबाईल फ़ोन का इस्तेमाल करना जाईज़ है. अलबत्ता मोबाईल फ़ोन के इस्तेमाल करते समय उस को इस बात का ख्याल रखना ज़रूरी है के वह मस्जिद के आदाब की ख़िलाफ़वरज़ी न करे और वह मोतकिफीन और दुसरे मुसल्लियों को तकलीफ़ न पहोंचाए.

अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.

وَمَن يُعَظِّم شَعائِرَ اللَّـهِ فَإِنَّها مِن تَقوَى القُلوبِ ﴿الحج: ٣٢﴾

وَمَن أَظلَمُ مِمَّن مَنَعَ مَساجِدَ اللَّـهِ أَن يُذكَرَ فيهَا اسمُهُ وَسَعىٰ في خَرابِها أُولـٰئِكَ ما كانَ لَهُم أَن يَدخُلوها إِلّا خائِفينَ لَهُم فِي الدُّنيا خِزيٌ وَلَهُم فِي الآخِرَةِ عَذابٌ عَظيمٌ  ﴿البقرة: ١١٤﴾

عن السائب بن يزيد قال كنت نائما في المسجد فحصبني رجل فنظرت فإذا عمر بن الخطاب فقال اذهب فأتني بهذين فجئته بهما فقال ممن أنتما أو من أين أنتما قالا من أهل الطائف قال لو كنتما من أهل المدينة لأوجعتكما ترفعان أصواتكما في مسجد رسول الله صلى الله عليه وسلم (صحيح البخاري #٤۷٠)

عن علي بن الحسين رضي الله عنهما أن صفية زوج النبي صلى الله عليه وسلم أخبرته حدثنا عبد الله بن محمد حدثنا هشام أخبرنا معمر عن الزهري عن علي بن الحسين كان النبي صلى الله عليه وسلم في المسجد وعنده أزواجه فرحن فقال لصفية بنت حيي لا تعجلي حتى أنصرف معك وكان بيتها في دار أسامة فخرج النبي صلى الله عليه وسلم معها فلقيه رجلان من الأنصار فنظرا إلى النبي صلى الله عليه وسلم ثم أجازا وقال لهما النبي صلى الله عليه وسلم تعاليا إنها صفية بنت حيي قالا سبحان الله يا رسول الله قال إن الشيطان يجري من الإنسان مجرى الدم وإني خشيت أن يلقي في أنفسكما شيئا (بخاري #۲٠۳۸)

जवाब देनेवालेः

मुफ़ती ज़करिया मांकदा

इजाझत देनेवालेः

मुफ़ती इब्राहीम सालेहजी

Source: http://muftionline.co.za/node/10428

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