हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के आमाल कुराने-करीम के मुताबिक होना

मुफस्सिरीने-किराम फरमाते हैं कि कुराने-करीम की निम्नलिखित आयत हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु और दूसरे सहाबा-ए-किराम रद़ियल्लाहु अन्हुम की तारीफ (प्रशंसा) में नाज़िल हुई है:

لَّا تَجِدُ قَوْمًا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ يُوَادُّونَ مَنْ حَادَّ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَلَوْ كَانُوا آبَاءَهُمْ أَوْ أَبْنَاءَهُمْ أَوْ إِخْوَانَهُمْ أَوْ عَشِيرَتَهُمْ

तु न पाएगा (न देखेगा) ऐसे लोग जो इमान रखते हो अल्लाह पर और आख़िरत के दिन पर कि वो दोस्ती रखे ऐसे लोगो से जिन्हों ने मुखालफत (शत्रुता) की अल्लाह की और उसके रसूल की, चाहे वो उनके बाप हो या बेटे हो या भाई हो या फैमिली ही क्यूं न हो।

हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के आमाल कुराने-करीम के मुताबिक होना

गज़्व-ए-बद्र में हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु का बाप उन का पीछा करता रहा; ताकि वो उन्हें कत्ल कर दे; मगर हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु अपने बाप से बचते रहे; ताकि उनका आमना-सामना न हो और उन्हें अपने बाप को क़त्ल न करना पड़े।

ताहम, जब उनका बाप डटा रहा और उनका सामना किया और हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु को अपनी जान बचाने के लिए अपने बाप को क़त्ल करने के इलावा कोई दूसरा रास्ता नज़र न आया, तो आगे बढ़कर उनको क़त्ल कर दिया।

उस मौके पर अल्लाह तआला ने यह आयत नाज़िल फरमाई:

لَّا تَجِدُ قَوْمًا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ يُوَادُّونَ مَنْ حَادَّ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَلَوْ كَانُوا آبَاءَهُمْ أَوْ أَبْنَاءَهُمْ أَوْ إِخْوَانَهُمْ أَوْ عَشِيرَتَهُمْ

तु न पाएगा (न देखेगा) ऐसे लोग जो इमान रखते हो अल्लाह पर और आख़िरत के दिन पर कि वो दोस्ती रखे ऐसे लोगो से जिन्हों ने मुखालफत (शत्रुता) की अल्लाह की और उसके रसूल की, चाहे वो उनके बाप हो या बेटे हो या भाई हो या फैमिली ही क्यूं न हो।

Check Also

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की ज़बाने-मुबारक से हज़रत अब्दुर्रह़मान बिन औफ़ रद़ियल्लाहु अन्हु की तारीफ़

شكا سيدنا عبد الرحمن بن عوف رضي الله عنه رجلا يؤذيه إلى رسول الله صلى …