قال سيدنا رسول الله صلى الله عليه وسلم: أرحم أمتي بأمتي أبو بكر (سنن الترمذي، الرقم: ٣٧٩٠)
हज़रत रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इरशाद फरमाया कि “मेरी उम्मत में सबसे अधिक मेरी उम्मत पर दयालु (हज़रत) अबु बक्र रदी अल्लाहु अन्हु हैं
हज़रत अबु बक्र का रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए अपने धन का बलिदान
हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: किसी भी शख्स के माल ने मुझे इतना फ़ायदा नहीं पहुँचाया जितना फा़यदा हज़रत अबु बक्र के माल ने पहुँचाया।
ये सुनकर हज़रत अबु बक्र रदी अल्लाहु अन्हु रोने लगे और फ़रमाया कि मैं और मेरा माल सब आपके लिए हैं या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम। (सुनने तिर्मीज़ी, सुनने इब्ने माजा)
मुस्नदे अहमद की रिवायत में हज़रत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से भी नक़ल क्या गया है कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: मुझे किसी भी धन ने मुझे इतना फायदा नहीं पहुँचाया जितना फायदा अबु बक्र रदी अल्लाहु अन्हु के धन ने पहुँचाया।
यह सुनकर हज़रत अबु बक्र रदी अल्लाहु अन्हु रोने लगे और तीन बार फ़रमाया: ऐ अल्लाह के रसूल! अल्लाह ने मुझे जो कुछ दिया है, आप की वजह से दिया है। (मुस्नदे अहमद)