जहां भी हो, दुरूद शरीफ़ पढ़ो

عن الحسن بن علي رضي الله عنهما أن رسول الله صلى الله عليه و سلم قال: حيثما كنتم فصلوا علي فإن صلاتكم تبلغني (رواه الطبراني كما في الترغيب و الترهيب، رقم: ٢٥٧١)

हज़रत हसन बिन अली (रज़ि अल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया, “तुम जहां कहीं भी हो, मुझ पर दुरूद भेजा करो, इस लिए के तुम्हारा दुरूद मुझ तक पहुंचता है.”

अलकवलुल बदीअ

अल्लामा सख़ावी (अल्लाह उन पर रहम करे) फ़रमाते हैं के मुझ से शेख़ अहमद बिन रस्लान (अल्लाह उन पर रहम करे) के शिष्यों में से एक विश्वासु ने कहा के उन को नबी ए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़्वाब में ज़ियारत हुई और हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़िदमत में यह किताब “अल-क़वलुल बदीअ फ़िस स़लाति अ़लल ह़बीबिश् शफ़ीअ” (जो हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) पर दुरूद ही के बयान में अल्लामा सख़ावी (अल्लाह उन पर रहम करे) का लोकप्रिय पुस्तक है,और इस किताब के अधिकतर लेख उसी से लिए गए हैं).

हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़िदमत में यह किताब पेश कि गई. हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इस को क़बूल फ़रमाया. बहुत लंबा स्वप्न है जिस की वजह से मुझे बहुत ज़्य़ादा ख़ुशी हुई. और में अल्लाह तआला और उस के पाक रसूल (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की तरफ़ से उस की कबुलीयत कि उम्मीद रखता हुं और इन्शाअल्लाह दोनों जहां में अधिक से अधिक षवाब का उम्मीदवार हुं.

पस तु भी ए मुख़ातब अपने पाक नबी का ज़िक्र खुबीयों के साथ करता रहा कर और दिल और ज़बान से हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) पर बहुत ज़्य़ादा बार दुरूद भेजता रहा कर, इस लिए के तेरा दुरूद हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के पास क़बर मुबारक में पहुंचता है और तेरा नाम हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़िदमत में पेश किया जाता है. (फ़ज़ाईले दुरूद पेज नं- १७५)

يَا رَبِّ صَلِّ وَ سَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

 Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=5904 & http://ihyaauddeen.co.za/?p=5965

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