नमाज़ दीन का स्थंभ है

हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः

“नमाज़ को हदीष में “इमादुद्दीन” (दीन का स्थंभ) फ़रमाया गया है. उस का यह मतलब है के नमाज़ पर बाक़ी दीन निलंबित है, और वह नमाज़ ही से मिलता है. नमाज़ में दीन का तफ़क्कुह (दीन की समझ) भी मिलता है और अमल की तौफ़ीक़ भी अता होती है फिर जैसी  किसी की नमाज़ होगी वैसी ही उस के हक़ में यह अता भी होगी इस लिए नमाज़ की दअवत देना और लोगों की नमाज़ों में ख़ुशूअ तथा ख़ुज़ूअ पैदा करने की कोशिश करना परोक्ष रूप से पूरे दीन के लिए कोशिश करना है.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं-१२७)

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