शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“मेरा एक और बात का भी तजर्बा है बात बहोत आसान है, हदीष से मुस्तन्बत है (हदीष से लिया गया है) के जितनी चादर हो उतना ही पांव फैलाना चाहिए, पेहले देख लो के हमारे पास कितना है और किस क़दर गुंजाईश है उसी के अंदर ख़र्च करो, तो फिर इन्शा अल्लाह माली परेशानी न उठानी पड़ेगी.” (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़ (रह.), पेज नं-२५)
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