वुज़ू की सुन्नतें और आदाब-भाग-९

२७) अगर आप कीसी बरतन में पानी ले कर वुज़ू कर रहै हैं, तो वुज़ू के बाद बचा हुवा पानी खडे हो कर पी लें. २८) वुज़ू के बाद शर्मगाह के इर्दगीर्द कपडें पर पानी छीड़कना , ताकि बाद में अगर ये शक पैदा हुवा के वुज़ू के बाद पेशाब के कतरें निकल आए हें, तो इस तरह करने से वह शक दूर हो जाएगा. अलबत्ता अगर किसी को यकीन हो के वुज़ू के बाद पेशाब के कतरें निकले हैं...

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हालते एहराम में इन्तेक़ाल होने वाले की तजहिज़ व तकफ़ीन

अगर किसी शख़्स का हालते एहराम में इन्तेक़ाल हो जाए(चाहे उसने हज का एहराम बांधा हो या उमरह का), उस की तजहिज़ व तकफ़ीन साधारण हालात में मरने वाले की तरह की जाएगी यअनी उस को शरीअत के अनुसार ग़ुसल दिया जाऐगा और कफ़न पहनाया जाएगा...

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वुज़ू की सुन्नतें और आदाब-भाग-८

२२) हर अंग को अच्छी तरह रगड़ना यहां तक के इस बात का यक़ीन हो जाए के पानी हर अंग को पहोंच गया है. २३) तमाम अंग को पै दर पै यानी एक अंग को दूसरे अंग के बाद बगैर किसी ताख़िर के धोना. २४) वुज़ू के दौरान दुन्यवी उमूर के मुतअल्लीक बात चीत न करना...

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मुसलमान औरत(स्त्री) की ग़ैर मौजूदगी में मुसलमान औरत को ग़ुसल देने के अहकाम(आदेश)

अगर किसी की बीवी(पत्नी) का इन्तेक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाली कोई मुस्लिम औरत(स्त्री) मौजूद न हो, फिर भी शोहर(पति) के लिए जाईज़ नहीं है के उस को ग़ुसल दे या उस के बदन को नंगे हाथ मस करे...

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वुज़ू की सुन्नतें और आदाब-भाग-७

१९) जब वुज़ू मुकम्मल हो जाए, तो कलीमए शहादत पढना (अगर आप खुली जगह में हें, तो कलीमए शहादत पढते हुए आसमान की तरफ़ देखें). नीज़ अहादिसे मुबारका में वारिद दीगर मस्नून दुआऐं पढना. नीचे कुछ मस्नून दुआऐं नक़्ल की जाती हैं, जो वुज़ू के अंत में पढी जाए...

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मुतफ़र्रिक़ मसाईल

अगर ग़ुसल देने वाला मुसलमान आदमी मौजूद न हो, तो मुरदा आदमी को कैसे ग़ुसल दिया जाए? अगर किसी आदमी का इन्तिक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाला कोई मुसलमान आदमी मौजूद न हो...

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मय्यित का चेहरा देखना और फ़ोटो खींचना

(१) सिर्फ महरम औरत के लिए जाईज़ है के मय्यित(मर्द) का चेहरा देखे. (२) इसी तरह सिर्फ महरम मर्द के लिए जाईज़ है के उस मय्यिता(औरत) का चेहरा देखे...

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दस गुना षवाब

عَنْ أَبِي طَلْحَةَ رَضِيَ اللهُ عَنه أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ جَاءَ ذَاتَ يَوْمٍ وَالْبِشْرُ يُرَى فِي وَجْهِهِ فَقَالَ إِنَّهُ جَاءَنِي جِبْرِيلُ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ أَمَا يُرْضِيكَ يَا مُحَمَّدُ أَنْ لَا يُصَلِّيَ عَلَيْكَ أَحَدٌ مِنْ أُمَّتِكَ إِلَّا صَلَّيْتُ عَلَيْهِ عَشْرًا وَلَا يُسَلِّمَ عَلَيْكَ أَحَدٌ مِنْ أُمَّتِكَ إِلَّا سَلَّمْتُ عَلَيْهِ عَشْرًا (النسائى رقم ۱۲۸۳..

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