عن أبي بكر رضي الله عنه قال: الصلاة على النبي صلى الله عليه وسلم أمحق للخطايا من الماء للنار والسلام على النبي صلى الله عليه وسلم أفضل من عتق الرقاب وحبّ رسول الله صلى الله عليه وسلم أفضل من مهج الأنفس أو قال: من ضرب السيف في سبيل الله رواه …
और पढ़ो »हज़रत अबू-उबैदा रद़िय अल्लाहु अन्हु लोगो में एक बेहतरीन आदमी
हज़रत मुआज़ बिन जबल रद़िय अल्लाहु अन्हु ने हज़रत अबू-उबैदा रद़िय अल्लाहु अन्हु के बारे में फ़र्माया: واللَّه إنه لمن خيرة من يمشي على الأرض (الإصابة ٣/٤٧٧) अल्लाह की कसम! वो (अबू-उबैदा) बेहतरीन लोगों में से हैं जो इस वक़्त ज़मीन पर चल रहे हैं। हज़रत अबू-उबैदा रद़िय अल्लाहु अन्हु …
और पढ़ो »इल्मे-दीन और ज़िक्रे-अल्लाह की अच्छी तरह पाबंदी करना
एक दिन फजर की नमाज़ के बाद, जबकि इस तहरीक में अमली हिस्सा लेने वालों का निजामुद्दीन की मस्जिद में बड़ा मज्मा था और हज़रत मौलाना (इलियास) रह़िमहुल्लाह की तबीयत इस क़दर कमज़ोर थी कि बिस्तर पर लेटे-लेटे भी दो-चार लफ़्ज़ (शब्द) आवाज़ से नहीं फरमा सकते थे, तो ज़ोर …
और पढ़ो »फज़ाइले-सदकात – १२
‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात सातवीं अलामत सातवीं अलामत उलमा-ए-आख़िरत की यह है कि उसको बातिनी इल्म यानी सुलूक का एहतिमाम बहुत ज़्यादा हो। अपनी इस्लाहे-बातिन और इस्लाहे-कल्ब में बहुत ज्यादा कोशिश करने वाला हो कि यह उलूमे-ज़ाहिरिया में भी तरक्की का ज़रिया है। (इस्लाहे-बातिन= बिगड़ी हुई मन की अंदरूनी हालत …
और पढ़ो »हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के आमाल कुराने-करीम के मुताबिक होना
मुफस्सिरीने-किराम फरमाते हैं कि कुराने-करीम की निम्नलिखित आयत हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु और दूसरे सहाबा-ए-किराम रद़ियल्लाहु अन्हुम की तारीफ (प्रशंसा) में नाज़िल हुई है: لَّا تَجِدُ قَوْمًا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ يُوَادُّونَ مَنْ حَادَّ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَلَوْ كَانُوا آبَاءَهُمْ أَوْ أَبْنَاءَهُمْ أَوْ إِخْوَانَهُمْ أَوْ عَشِيرَتَهُمْ तु न पाएगा (न देखेगा) …
और पढ़ो »हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व-सल्लम की लानत
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: رغم أنف رجل ذكرت عنده فلم يصل علي، ورغم أنف رجل دخل عليه رمضان ثم انسلخ قبل أن يغفر له، ورغم أنف رجل أدرك عنده أبواه الكبر فلم يدخلاه الجنة قال عبد الرحمن: وأظنه قال: أو …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २०
सहाबा रद़ियल्लाहु अन्हुम के हंसने पर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की तंबीह और क़ब्र की याद नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम एक मर्तबा नमाज़ के लिए तशरीफ़ लाए, तो एक जमाअत को देखा कि वह खिलखिला कर हंस रही थी और हंसी की वजह से दांत खिल रहे थे। हुजूर सल्लल्लाहु …
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर ‘इद्दत में बैठना वाजिब है। ऐसी औरत की ‘इद्दत (जिस के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए और वो हा़मिला {प्रेगनेंट} न हो) चार महीने दस दिन है। …
और पढ़ो »अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में ख़बर पड़ना
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى علي من بعيد أعلمته (أخرجه أبو الشيخ في الثواب له من طريق أبي معاوية عن الأعمش عن أبي صالح عنه ومن طريقه الديلمي وقال ابن القيم إنه غريب …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – १९
तबूक के सफ़र में क़ौमें समूद की बस्ती पर गुज़र गज़्व-ए-तबूक मशहूर गज़्वह है और नबी-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का आखिरी गज़्वह है। (गज़्वह=गज़्वह उस लड़ाई को कहते हैं, जिसमें हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम खुद शरीक हुए हों) हुजूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को इत्तिला (ख़बर) मिली कि रूम का बादशाह …
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