सवाल:– क्या ज़कात की रक़म से खाने पीने की चीज़ें ख़रीद कर ग़रीबों को खिलाना जाईज़ है? क्या माहे-रमज़ान में ज़कात की रक़म से ग़रीबों को इफ़तार कराना जायज़ है?
और पढ़ो »हदिया अथवा क़र्ज़ की सूरत में ज़कात देना
सवाल:– अगर कोई आदमी किसी ग़रीब मुसलमान को कुछ पैसे हदये तथा क़र्ज़ के तौर पर दे दें और देते वक़्त वह ज़कात की निय्यत करे तो क्या इस तरह देने से उसकी ज़कात अदा हो जाएगी?
और पढ़ो »क़बर पर मिट्टी ड़ालने का तरीक़ा
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने “एक शख़्स की जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई फिर उस की क़बर पर आए और उस के सर की तरफ़ से तीन मर्तबा उस की क़बर पर मट्टी ड़ाली.”...
और पढ़ो »फ़ज़र की नमाज़ और मग़रिब की बाद सो (१००) बार दुरूद शरीफ़
तो हज़रत उम्मे सुलैम (रज़ि.) ने एक शीशी ली और उस में आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का मुबारक पसीना जमअ करने लगीं. जब आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) बेदार हुए, तो सवाल किया के “ए उम्मे सुलैम यह तुम क्या कर रही हो?”...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (सातवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم अल्लाह तआला की महान नेअमत हज़रत अय्यूब (अलै.) अल्लाह तआला के जलीलुल क़द्र नबी थे. जो अल्लाह तआला की तरफ़ से तीव्र रोग से आज़माए गए. चन्द साल के सबर के बाद बिलआख़िर अल्लाह तआला ने उन्हें अपने फ़ज़लो करम से शिफ़ा अता फ़रमाई. उन्हें शिफ़ा …
और पढ़ो »सुरतुल क़द्र की तफ़सीर
तर्जमाः- बेशक हमने क़ुर्आन को शबे क़द्र में उतारा (१) और आप को कुछ मालूम है के शबे क़द्र कैसी चीज़ है (२) शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है (३)...
और पढ़ो »सब से ज़्यादह नफ़रत के क़ाबिल चीज़ तकब्बुर है
सब से ज़्यादह नफ़रत की चीज़ मेरे ज़हन में तकब्बुर है इतनी नफ़रत मुझे किसी गुनाह से नही जितनी इस से है. युं और भी बड़े बड़े गुनाह हैं जैसे ज़िना (व्याभिचार), शराब पीना वग़ैरह, लेकिन...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-९)
हज़रत अम्र बिन मैमून (रह.) से रिवायत है के हज़रत उमर (रज़ि.) ने इरशाद फ़रमाया के “मस्जिदें ज़मीन पर अल्लाह तआला के मकानात हैं और मेज़बान की ज़िम्मेदारी है के वह अपने मेहमान का इकराम करे.”...
और पढ़ो »मय्यित की तदफ़ीन का तरीक़ा
मय्यित को क़िब्ले की तरफ से लाया जाए और क़बर में इस तरह उतारा जाए के मय्यित को उतारने वाले क़बर में क़िबले की तरफ़ रूख़ कर के खड़े हों. रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) सहाबए किराम (रज़ि.) को इसी तरह दफ़ण फ़रमाते थे....
और पढ़ो »हज़रत जिब्रईल ‘अलैहिस्सलाम और रसूले करीम सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम की बद दुआ
जो बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ेगा, उस को जन्नत मिलेगी, तो में ने और मजलिस के दीगर लोगों ने भी बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ा. जिस की बरकत से अल्लाह तआला ने हमारे गुनाहों को माफ़ फ़रमाया और अल्लाह तआला ने हम सब को जन्नत में दाख़िल कर दिया...
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