क्या रोज़े की निय्यत ज़बान से करना ज़रूरी है?

सवाल – अगर किसी ने ज़बान से रोज़े की निय्यत नहीं की, तो क्या उस का रोज़ा दुरूस्त होगा? स्पष्ट रहे के उस को ज़हनी तौर पर मालूम है के वह रमज़ान का रोज़ा रख रहा है.

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फ़जर से पेहले जनाबत का ग़ुसल न करने की सूरत में रोज़े का हुकम

सवाल – अगर किसी ने रमज़ान के महीने में एक दिन फ़जर की नमाज़ से पेहले जनाबत का ग़ुसल नहीं किया, बलके उस ग़ुसल को मुअ की नमाज़ से पेहले ग़ुसल जनाबत का ग़ुसल किया, तो क्या उस का रोज़ा दुरूस्त होगा?

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ज़कात की रक़म से स्कूल के लिए कोई सामान ख़रीदना

सवाल:– अगर कोई आदमी ज़कात अदा करने की निय्यत से ज़कात की रक़म से स्कूल के लिए कोई सामान खरीद ले, तो क्या इस तरह करने से उसकी ज़कात अदा होगी?

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नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – १४

दूसरी रकात (१) पेहली रकअत के दूसरे सजदे के बाद तकबीर केह कर दूसरी रकअत के लिए खड़ी हो जाऐं. (२) सजदे से उठते हुए पेहले पेशानी उठाए, फिर नाक, फिर हाथों और आख़िर में घुटनों को उठाऐं. (३) सजदे से उठते हुए ज़मीन का सहारा न लें (मगर यह …

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नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – १३

सजदा (१) तकबीर कहें और हाथ उठाए बग़ैर सजदे मे जायें. (२) सजदे में जाते हुए पेहले ज़मीन पर घुटनों को रखें, फिर हथेलियों को ज़मीन पर रखें, फिर नाक को और आख़िर में पेशानी को रखें. (३) सजदे की हालत में ऊंगलियों को एक दूसरे से मिलावे और क़िब्ला …

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नुसरत का मदार

हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः ‎“फ़तहो नुसरत का मदार क़िल्लत(कमी) और कषरत(ज़्यादती) पर नहीं वह चीज़ ही और है. मुसलमानों को सिर्फ़ उसी एक चीज़ का ख़्याल रखना चाहिए यअनी ख़ुदा तआला की रिज़ा फिर काम में लग जाना चाहिए, अगर कामयाब हों शुकर …

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