ख़ुशहाली सुन्नत पर अमल करने में है

पस जिन लोगों को रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के इत्तिबाअ में सादा मुआशरत मरग़ूब हो जाए और उन को इसी में लज़्ज़त और चैन मिलने लगे, उन पर अल्लाह तआला का बड़ा इनाम है के उन का चैन एसी चीज़ों से वाबस्ता फ़रमा दिया जो बेहद ससती है और जिन का हुसूल हर ग़रीबो फ़क़ीर के लिए बहोत आसान है...

और पढ़ो »

आर्थिक मामलों में सावधानी बरतना

“मालियात में तक़वा बहोत कम देखा जाता है. अफ़आल और आमाल तो आज कल बहोत हैं. तहज्जुद चाश्त इशराक विर्द वजीफ़े तो बहुत मगर यह बात बहुत कम है के माल से मोह तथा मोहब्बत न हो, तथा हो मगर फिर भी सावधान रहें, तो यह उस से बढ़ कर है.”‎...

और पढ़ो »

(६) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसअला

मय्यित की पेशानी और सजदे की जगहों (हाथ, पैर, नाक और घुटनों) पर काफ़ूर मलना अफ़ज़ल है. अलबत्ता काफ़ूर का पेस्ट बनाना और उस को मय्यित की पेशानी और सजदे की जगहों पर लगाना दुरूस्त नहीं है, क्युंकि यह सुन्नत के ख़िलाफ़ है और उस से चेहरा और दीगर अंग बदनुमा मालूम होते हैं...

और पढ़ो »

आमदनी के लिहाज़ से ख़र्च करना

जितनी चादर हो उतना ही पांव फैलाना चाहिए, पेहले देख लो के हमारे पास कितना है और किस क़दर गुंजाईश है उसी के अंदर ख़र्च करो, तो फिर इन्शा अल्लाह माली परेशानी न उठानी पड़ेगी...

और पढ़ो »

उम्मत का दुरूद नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) को पहोंचना

अपने घरों को क़ब्रस्तान न बनावो (घरों को नेक आमालः नमाज़, तिलावत और ज़िक्र वग़ैरह से आबाद रखो. उन को क़ब्रस्तान की तरह मत बनावो जहां नेक आमाल नही होते हैं) और मेरी क़बर को जशन की जगह मत बनावो और मुझ पर दुरूद भेजो, क्युंकि तुम्हारा दुरूद मेरे पास (फ़रिश्तों के ज़रीए) पहोंचता है, चाहे तुम जहां कहीं भी हो...

और पढ़ो »

मोहब्बत का बग़ीचा (सतरहवां प्रकरण)‎

जो व्यक्ति अल्लाह तआला की विशेष रहमत का तालिब है उसे चाहिए के वह पांच वक़्त की नमाज़ें जमाअत के साथ पाबंदी के साथ मस्जिद में अदा करे, तमाम गुनाहों से बचना और मख़लुक के साथ शफ़क़त तथा हमदरदी के साथ पेश आए और उन के अधिकार अदा करे...

और पढ़ो »

मुसलमानों के धार्मिक पतन पर सहानुभूति और चिंता व्यक्त करते हुए

दुनिया के नुक़सान को नुक़सान समझा जाता है लेकिन दीन के नुक़सान को नुक़सान नहीं समझा जाता, फिर हम पर आसमान वाला क्युं रहम करे, जब हमें मुसलमानों की दीनी हालत के अबतर होने पर रहम नहीं...

और पढ़ो »