मोहब्बत का बग़ीचा (एकिसवां प्रकरण)‎

ए बिशर ! तुम ने हमारा नाम ज़मीन से उठाया और उस में ख़ुश्बू लगाई, बेशक हम तुम्हारा नाम दुनिया और आख़िरत में रोशन करेंगे. इस अमल की वजह से अल्लाह तआला ने मुझे यह स्थान अता फरमाया है...

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लोगों को दीन की तरफ़ राग़िब करना

मौतो हयात का एतेबार नहीं, याद रखो, एक वसिय्यत करता हुं नसीहत करता हुं वह यह के जहां तक हो सके हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की इत्तेबा की कोशिश करो. दूसरी बात जो इस वक़्त केहनी है वह यह के...

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जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल (१३)

मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान ज़िकर करना सवालः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना कैसा है? जवाबः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना सुन्नत से षाबित नहीं है. अलबत्ता ग़ुसल …

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क़यामत के दिन नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु ‘अलैही व-सल्लम के ‎पड़ोसी होने का शर्फ़

“जो शख़्स इरादा कर के मेरी ज़ियारत करे वह क़यामत में मेरे पड़ोस में होगा और जो शख़्स मदीना में क़याम करे और वहां की तंगी और तकलीफ़ पर सबर करे...

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दीन की तलब तथा क़दर पैदा करना

हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारे नज़दीक इस वक़्त उम्मत की असल बीमारी दीन की तलब तथा क़दर से उन के दिलों का ख़ाली होना है. अगर दीन की फ़िकर तथा तलब उन के अन्दर पैदा हो जाए और दीन की महत्तवता का शुऊर तथा …

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १४

अगर एक बहन का इन्तिक़ाल हो जाए अथवा वह उस को तलाक़ दे दे और उस की इद्दत गुज़र जाए, तो उस के लिए दूसरी बहन से निकाह करना जाईज़ होगा...

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १३

अगर लड़का महरे फ़ातमी देना चाहे और महरे फ़ातमी महरे मिष्ल के बराबर हो तथा उस से ज़्यादा हो, तो यह जाईज़ है और अगर महरे फ़ातमी महरे मिष्ल से कम हो, लेकिन लड़की और लड़की के अवलिया इस मिक़दार से राज़ी हों, तो यह भी जाईज़ है...

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नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ८

विविध मसाईल मर्दों की नमाज़ से संबंधित  सवालः क्या मुक़्तदी इमाम के पीछे षना, तअव्वुज़, तसमिया और क़िराअत पढ़े?‎ जवाबः मुक़्तदी सिर्फ़ षना पढ़े और उस के बाद ख़ामोश रहे. मुक़्तदी इमाम के ‎पीछे तअव्वुज़, तसमिया और क़िराअत न पढ़े. सवालः अगर मुक़्तदी जमाअत में उस समय शामिल हो जाए …

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सूरतुल हुमज़ह की तफ़सीर

आप को कुछ मालूम है के वह तोड़ने वाली आग कैसी है? (५) वह अल्लाह तआला की आग है जो सुलगाई गई है (६) जो दिलों तक पहोंच जाएगी (७) वह उन पर बंद कर दी जाएगी (८) बड़े लंबे लंबे स्थंभो में (९)...

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(१२) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

पानी मौजूद न होने की सूरत में मय्यित को तयम्मुम कराना सवालः- अगर पानी मौजूद न हो, तो मय्यित को किस तरह से ग़ुसल दिया जाए? जवाबः- अगर एक शरई मील की मसाफ़त के बक़दर (या उस से ज़्यादा) पानी मौजूद न हो, तो मय्यित को तयम्मुम कराया जाएगा. [१] …

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