हंमेशा नफ़ा देने वाला निवेष

शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “दुनिया का कोई काम भी बग़ैर मेहनत, श्रम के नही हो सकता , तिजारत हो, ज़िराअत हो, सब में पापड़ बेलने पड़ते हैं. इसी तरह दीन का काम भी बग़ैर श्रम के नहीं हो सकता, मगर दोनों में …

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मोहब्बत का बग़ीचा (छब्बिसवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم नेक औलाद – आख़िरत की असल पूंजी इन्सान पर अल्लाह तआला की बेश बहा नेअमतों में से एक नेअमत है, क़ुर्आने मजीद में अल्लाह तआला ने इस बड़ी नेअमत का ज़िकर फ़रमाया है. अल्लाह तआला का इरशाद हैः وَاللَّهُ جَعَلَ لَكُم مِّنْ أَنفُسِكُمْ أَزْوَاجًا وَجَعَلَ لَكُم …

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उम्मत के लिए हिदायत के सितारे

  हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का इरशाद है के “मेरे सहाबा (रज़ि.) (मेरी उम्मत के लिए) सितारों की तरह हैं, तुम उन में से जिस की पैरवी करोगे, हिदायत पावोगे.”(रज़ीन कमा फ़ी मिश्कातुल मसाबीह, अर रक़म नं- ६०१८) हज़रत उमर का गहरी मोहब्बत और हज़रत रसूलुल्लाह की यादें हज़रत …

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सूरतुल कवषर की तफ़सीर

बेशक हम ने आप को ख़ैरे कषीर अता फ़रमाई है (१) सो आप अपने परवरदिगार की नमाज़ पढ़िए और क़ुर्बानी किजीए (२) बिलयक़ीन आप का दुश्मन ही बेनामो निशान है (३)...

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अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण ३

अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर करने वालों की महान फ़ज़ीलत और बुलंद मर्तबा  अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर (अच्छे काम का हुकम देना और बुरे काम से रोकना) का फ़रीज़ा दीने इस्लाम में अत्यंत अहम दरजा रखता है. इस ज़िम्मेदारी को इतनी महत्तवता देने की वजह …

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ख़ुलफ़ाए राशिदीन की विशेष फ़ज़ीलत

हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मेरी उम्मत में सब से ज़्यादा मेरी उम्मत पर रहम करने वाले अबू बकर (रज़ि.) हैं, अल्लाह का हुकम (क़ाईम करने) में सब से ज़्यादा मज़बूत उमर (रज़ि.) हैं, सब से ज़्यादा हया वाले उषमान …

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १५

रज़ाअत के अहकाम (१) जितने रिश्ते नसब के एतेबार से हराम है वह रिश्ते रज़ाअत (दूघ पिलाने) के एतेबार से भी हराम है यअनी जिन औरतों से नसब की वजह से निकाह करना हराम है, उन औरतों से रज़ाअत (दूघ पिलाने) की वजह से भी निकाह करना हराम है. मिषाल …

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जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल (१४)

जनाज़ा नमाज़ में नमाज़ी को कहां देखना चाहिए? सवालः- जनाज़ा नमाज़ में निगाह किस जगह होनी चाहिए? जवाबः- जनाज़ा नमाज़ पढ़ने वाले को अपनी निगाह नीची रखनी चाहिए. [१] सुन्नते मुअक्कदह नमाज़ जनाज़ा नमाज़ पर मुक़द्दम सवालः- फ़र्ज़ नमाज़ के बाद अगर जनाज़ा हाज़िर हो, तो क्यु मुसल्ली हज़रात पेहले …

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सिहत की दौलत

हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः ‎“हक़ तआला के एहसानात लातादाद तथा ला तुहसो (अनगिनत तथा न गिने जानेवाले) हैं. मषलन सिहत एक एसी चीज़ है के तमाम सलतनत उस के बराबर नहीं. अगर किसी बादशाह को मरज़ (बीमारी) लाहिक़ हो जाए और तमाम सलतनत …

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क़ुर्आने करीम की सुन्नतें और आदाब – १

उम्मत का सब से महान इन्आम अल्लाह सुब्हानहु वतआला ने उम्मते मुहम्मदिया अला साहिबिहा अलफ़ अलफ़ सलातो सलाम को एक एसा समुन्दर अता किया है जिस का कोई साहिल नहीं है. यह समुन्दर प्रकार प्रकार के हीरे, जवाहिरात, मोतियों और अनमोल ख़ज़ानों से भरा हुवा है. जो व्यक्ति जितना ज़्यादा …

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