क़ुर्आने करीम में सहाबए किराम (रज़ि.) की तारीफ़ तथा प्रशंसा

रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़बर गीरी के लिए एक अन्सारी महिला की बैचेनी उहद की लऱाई में मुसलमानों को तकलीफ़ भी बोहत पहुंची और शहीद भी बोहत हुए. मदीना तय्यीबा में यह वहशत अषर ख़बर पहुंची तो औरतें परेशान होकर हाल की स्थिति की जांच के लिए घर से निकल …

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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब – ३

तलाक़ की सुन्नतें और आदाब (१) शौहर जल्द बाज़ी अथवा ग़ुस्से की हालत में अपनी बिवी को तलाक़ न दे, बलकि तलाक़ देने से पेहले उस को चाहिए के वह संजीदगी से इस मामले पर अच्छी तरह ग़ौरो फ़िकर करे. अच्छी तरह ग़ौरो फ़िकर करने के बाद अगर उस को …

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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब – २

वैवाहिक विवाद को ख़तम करना जब मियां बिवी के दरमियान तलाक़ के ज़रीए फ़ुरक़त (जुदाई) होती है, तो उस वक़्त दो अफ़राद जुदा नहीं होते हैं, बलके दो ख़ानदानों में अलाहीदगी होती है. उस के अलावह अगर मियां बिवी के बच्चे हों, तो मियां बिवी की अलाहीदगी की वजह से …

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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब- १

तलाक़ निकाह का मक़सद यह है के मियां बिवी पाकीज़ा ज़िन्दगी गुज़ारें और एक दूसरे को अल्लाह तआला के अधिकार और आपस के अधिकार पूरा करने में मदद करें. जिस निकाह में मियां बिवी उलफ़त तथा मोहब्बत के साथ रहें और एक दूसरे के मिज़ाज तथा जज़बता को समझते हुए …

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मोहब्बत का बग़ीचा (अठ्ठाईसवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم औलाद की अच्छी तरबियत के लिए नेक संगात की ज़रूरत औलाद की अच्छी तरबियत के लिए वालिदैन पर ज़रूरी है के वह इस बात का प्रबंध करें के उन की औलाद नेक लोगों की सोहबत और अच्छे माहोल में रहे, क्युंकि नेक सोहबत और अच्छे माहोल …

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रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सख़्त वईद

मुसलमानों के लिए हज़रत सअद (रज़ि.) का पैग़ाम उहद की लड़ाई में हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने दरयाफ़्त फ़रमाया के सअद बिन रबीअ (रज़ि.) का हाल मालूम नही हुवा के क्या गुज़री. एक सहाबी (रज़ि.) को तलाश के लिए भेजा वह शुहदा की जमाअत में तलाश कर रहे थे. …

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तबलीग़ की मेहनत का सारांश

हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारी तबलीग़ का हासिल यह है के आाम दीन दार मुसलमान अपने ऊपर वालों से दीन को लें और अपने नीचे वालों को दें. मगर नीचे वालओं को अपना मोहसिन समझें. क्युंकि जितना हम कलिमे को पहोंचाऐंगे फैलाऐंगे उस से …

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सहाबए किराम (रज़ि.) का इमान सफ़लता का स्तर ‎

अल्लाह तआला ने क़ुर्आने मजीद में सहाबए किराम (रज़ि.) की प्रशंसा की है और उन के इमान को उम्मत के लिए हिदायत और सफ़लता का स्तर क़रार दिया है. अल्लाह तआला का इरशाद हैः तो अगर वह (लोग) भी इसी तरह इमान ले आऐं जैसे तुम इमान लाए हो, तो …

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १६

हुरमते मुसाहरत (१) अगर कोई औरत किसी मर्द को शहवत (वासना) के साथ हाथ लगाए, तो हुरमते मुसाहरत दोनों के दरमियान षाबित हो जाएगी. जब हुरमते मुसाहरत दोनों के दरमियान षाबित हो जाएगी, तो उस मर्द के लिए उस औरत की मां और औरत की दादी (और दादी की मां …

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मोहब्बत का बग़ीचा (सताईसवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم बच्चे को अल्लाह तआला का परिचय कराना बच्चे की तरबियत अत्यंत अहम है. बच्चे की तरबियत की मिषाल इमारत की बुनियाद की तरह है. अगर इमारत की बुनियाद मज़बूत और पुख़्ता हो, तो इमारत भी मज़बूत और पुख़्ता रहेगी और हर तरह के हालात बरदाश्त करेगी. …

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