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बे-मुरव्वती और नाशुकरी की अलामत

हज़रत क़तादा (रह.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) इरशाद फ़रमाया के “यह असभ्यता और नाशुकरी की बात है के किसी व्यक्ति के सामने मेरा तज़किरा किया जाए और वह मुझ पर दुरूद न भेजे.”...

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दिल को हर समय पाक रखना

“में तो इस का ख़ास प्रबंध रखता हुं के क़ल्ब (हृदय) फ़ुज़ूलियात (व्यर्थ) से मुक्त रहे क्युंकि फ़क़ीर को तो बरतन ख़ाली रखना चाहिए. न मालूम किस वक़्त किसी सख़ी की नज़र इनायत (कृपा) हो जाए. एसे ही...

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मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-८)

(१) मस्जिद से अपना दिल लगाईए यअनी जब आप एक नमाज़ से फ़ारिग़ हो कर मस्जिद से निकल रहे हों, तो दूसरी नमाज़ के लिए आने की निय्यत किजीए और उस का शिद्दत से इन्तेज़ार किजीए...

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ह़की़की़ कंजूस

हज़रत हुसैन बिन अली इब्ने अबी तालिब (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “बख़ील है वह व्यक्ति जिस के सामने मेरा ज़िक्र किया जावे और वह मुझ पर दुरूद न भेजे.”...

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मुहब्बत का बग़ीचा (पांचवा प्रकरण)‎

“दीने इस्लाम” इन्सान पर अल्लाह तबारक व तआला की तमाम नेअमतों में से सब से बड़ी नेअमत है. दीने इस्लाम की मिषाल उस हरे हरे भेर बाग़ की सी है, जिस में प्रकार प्रकार के फलदार झाड़, खुश्बूदार फूल और उपयोगी पौदे होते हैं. जब इन्सान...

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