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मुलाक़ात के समय दुरूद शरीफ़ पढ़ना

हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “दो एसे मुसलमान जो सिर्फ़ अल्लाह तआला के वास्ते आपस में मुहब्बत करते हैं, जब वह एक दूसरे से मुलाक़ात करते हैं...

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सूरतुल ज़िलज़ाल की तफ़सीर

जब ज़मीन अपनी सख़्त जुम्बिश से हिला दी जाएगी (१) और ज़मीन अपने बोझ बाहर निकाल फेंकेगी (२) और इस हालत को देख कर काफ़िर आदमी कहेगा इस को क्या हुवा...

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मोहब्बत का बग़ीचा (नवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم अल्लाह तआला और मख़लूक़ की अमानत अदा करने की महत्तवता अज्ञानता का युग और इस्लाम की शरूअत में उषमान बिन तलहा ख़ानऐ काअबा की चाबी के ज़िम्मेदार थे. उन का मामूल था के वह हर हफ़्ते पीर और जुमेरात के दिन ख़ानए काअबा का दरवाज़ा खोलते …

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