लेकिन ज़कात न देने से माल रेहता नही, आग लग जाए, मुक़द्दमा में ख़र्च हो जाए, दुख बीमारी में ख़र्च हो जाए, हेतु यह है के किसी न किसी सूरतमें वह माल हाथ से निकल जाता है...
और पढ़ो »सूरह फ़लक की तफ़सीर
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का इस्लाम के खातिर तक्लीफें बर्दाश्त करना
خاطب سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه الناس يوما فقال للقوم: لو رأيتني موثقي عمر (أي: وإن عمر لموثقي) …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
दुरूद-शरीफ़ पढ़ने वाले के लिये नबी सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की सिफारिश
عن أبي هريرة عن النبي صلى الله عليه وسلم قال من قال اللهم صل على محمد وعلى آل محمد كما صليت على إبرا…
हज़रत सईद बिन ज़ैद (रद़ियल्लाहु अन्हु) के लिए जन्नत की खुशखबरी
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) हज़रत सईद बिन ज़ैद (रद़ियल्लाहु अन्हु) के बारे में इ…
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दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से अस्सी साल के गुनाहों की माफ़ी और पुल सिरात पर रोशनी
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के मुझ पर दुरूद भेजना पुल सिरात पर रोशनी (का बाइष) है और जो शख़्स जुम्आ के दिन अस्सी मर्तबा मुझ पर दुरूद भेजेगा, उस के अस्सी साल के गुनाह बख़्श दिए जाऐंगे...
और पढ़ो »ज़िकरूल्लाह का सहीह मतलब
हक़ीक़ी ज़िकरूल्लाह यह है के आदमी जिस मोक़े पर और जिस हाल, जिस मशगले में हो उस से संबंधित अल्लाह के अहकामो अवामिर (नियम और आदेश) हों उन की निगहदाश्त (ध्यान) रखे और में अपने दोस्तों को उसी “जिकर” की ज़्यादा ताकीद करता हुं...
और पढ़ो »जुम्आ के दिन असर की नमाज़ के बाद अस्सी मर्तबा दुरूद शरीफ़ पढ़ने से अस्सी साल के गुनाहों की बख़शिश
दूरी की हालत में अपनी रूह को ख़िदमते अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) में भेजा करता था, वह मेरी नाईब बन कर आस्ताना मुबारक चूमती थी, अब जिस्मों की हाज़री की बारी आई है अपना दस्ते मुबारक अता कीजिये, ताकि मेरे होंठ उस को चूमें...
और पढ़ो »सुरए तकाषुर की तफ़सीर
بِسۡمِ اللّٰہِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِیۡمِ اَلۡہٰکُمُ التَّکَاثُرُ ۙ﴿۱﴾ حَتّٰی زُرۡتُمُ الۡمَقَابِرَ ؕ﴿۲﴾ کَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ۙ﴿۳﴾ ثُمَّ کَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ؕ﴿۴﴾ کَلَّا لَوۡ تَعۡلَمُوۡنَ عِلۡمَ الۡیَقِیۡنِ ؕ﴿۵﴾ لَتَرَوُنَّ الۡجَحِیۡمَ ۙ﴿۶﴾ ثُمَّ لَتَرَوُنَّہَا عَیۡنَ الۡیَقِیۡنِ ۙ﴿۷﴾ ثُمَّ لَتُسۡـَٔلُنَّ یَوۡمَئِذٍ عَنِ النَّعِیۡمِ ﴿۸﴾ एक दूसरे से ज़्यादा (दुनयवी साज़ो सामान) हासिल करने …
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