अबु बकर बिन मुजाहिद अल मुक़री नव मौलूद के वालिद के साथ उठे. वज़ीर के दरवाज़े पर पहोंचे. अबु बकर ने वज़ीर से कहा उस आदमी को तेरे पास रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने भेजा है. वज़ीर खुशी से उठ खड़ा हुवा उसे अपनी जगह पर बिठाया और पूरा क़िस्सा पूछा. उस को पूरा ख़्वाब सुनाया...
और पढ़ो »सूरह फ़लक की तफ़सीर
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का इस्लाम के खातिर तक्लीफें बर्दाश्त करना
خاطب سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه الناس يوما فقال للقوم: لو رأيتني موثقي عمر (أي: وإن عمر لموثقي) …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
दुरूद-शरीफ़ पढ़ने वाले के लिये नबी सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की सिफारिश
عن أبي هريرة عن النبي صلى الله عليه وسلم قال من قال اللهم صل على محمد وعلى آل محمد كما صليت على إبرا…
हज़रत सईद बिन ज़ैद (रद़ियल्लाहु अन्हु) के लिए जन्नत की खुशखबरी
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) हज़रत सईद बिन ज़ैद (रद़ियल्लाहु अन्हु) के बारे में इ…
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निकाह की सुन्नतें और आदाब – ११
रात की इब्तिदा ग़ुरूबे शम्स से होती है और इन्तिहा सुबह सादिक़ के वक़्त होती है. जहां तक दिन के अवक़ात की बात है, तो बेहतर यह है के शौहर दिन के अवक़ात भी अपनी बीवीयों के दरमियान बराबरी के साथ गुज़ारे (अगरचे उस में बराबरी ज़रूरी नहीं है)...
और पढ़ो »हर अच्छे काम का अंत इस्तिग़फ़ार से करना
लिहाज़ा तबलीग़ का काम भी हंमेशा इस्तिग़फ़ार ही पर ख़तम किया जाए. बंदे से किसी तरह भी अल्लाह तआला के काम का हक़ अदा नहीं हो सकता. तथा एक काम में व्यस्तता बहोत से दूसरे कामों के न हो सकने का भी कारण बन जाती है. तो इस प्रकार की चीज़ों की क्षतीपूर्ती (तलाफ़ी) के लिए भी हर अच्छे काम के ख़तम पर इस्तिग़फ़ार करना चाहिए...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ३
तकबीराते इन्तेक़ालिया (वह तकबीरें जो नमाज़ में एक हयअत से दूसरी हयअत की तरफ़ मुनतक़िल होने के दौरान कहीं जाती हैं) की इब्तिदा उस वक़्त करें, जब आप एक हयअत से दूसरी हयअत की तरफ़ मुनतक़िल होने लगें और दूसरी हयअत पर पहोंच कर ख़तम कर दें. मषलन, जुं ही आप क़याम से रूकुअ के लिये झुकना शुरूअ करें, तो तकबीर शुरूअ कर दें और रूकुअ तक पहोंच कर तकबीर ख़तम कर दें...
और पढ़ो »(२) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
अगर कोई मय्यित के घर जाए और वहां खाना पेश किया जा रहा हो, तो क्या वह खाना तनावुल करना जाईज़ है? क्या मय्यित के घर उस के घरवाले और मेहमानों के लिए खाना भेजना जाईज़ है?...
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