हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “मौजूदा (दौर की) तरक़्क़ी का हासिल तो हिर्स (लालच) है और शरीअत ने हिर्स (लालच) की जड़ काट दी है. सहाबए किराम (रज़ि.) ने जो हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के नमूना थे कहीं एसे ख़्याल को अपने दिल में …
और पढ़ो »हज़रत उम्मे-सलमह रद़ियल्लाहु अन्हा की हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपनी नमाज़े-जनाज़ा पढ़ाने की वसीयत
أوصت أم المؤمنين السيدة أم سلمة رضي الله عنها أن يصلي عليها سعيد بن زيد رضي الله عنه (مصنف ابن أبي ش…
तजीयत की सुन्नतें और आदाब – 1
मुसीबतज़दा लोगों के साथ ताज़ियत (संवेदना व्यक्त करना) इस्लाम एक सम्पूर्ण और व्यापक जीवन-प्रणाली है। …
एक दुरूद के बदले सत्तर इनाम
عن عبد الرحمن بن مريح الخولاني قال سمعت أبا قيس مولى عمرو بن العاصي يقول: سمعت عبد الله بن عمرو يقول…
अल्लाह त’आला की बेपनाह रहमतें
عن ابن عمر وأبي هريرة رضي الله عنهم قالا قال رسول الله صلى الله عليه وسلم صلوا علي صلى الله عليكم...…
मस्जिद के काम
हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास साहब (रह़िमहुल्लाह) ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: मस्जिदें, मस्जिदे-नबवी …
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मोहब्बत का बग़ीचा (बीसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم उम्मते मुस्लिमा की इस्लाह की फ़िकर हज़रत उमर (रज़ि.) कि ख़िलाफ़त के ज़माने में एक शख़्स मुल्के शाम से हज़रत उमर (रज़ि.) की मुलाक़ात के लिए मदीना मुनव्वरा आता था. यह शामी शख़्स मदीना मुनव्वरा में कुछ वक़्त क़याम करता था और हज़रत उमर (रज़ि.) की …
और पढ़ो »(११) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
मय्यित के जिस्म से जुदा अंग का ग़ुसल सवालः- बसा अवक़ात एसा होता है के मय्यित के जिस्म से बाज़ अंग जुदा होते हैं मषलन गाड़ी के हादसे वग़ैरह में मय्यित के कुछ अंग टूट जाते हैं और जिस्म से जुदा होते हैं, तो क्या ग़ुसल के समय उन अलग …
और पढ़ो »रौज़-ए-अक़दस की ज़ियारत की फ़ज़ीलत
जिस ने मेरी वफ़ात के बाद मेरी क़बर की ज़ियारत की, वह उस शख़्स की तरह है जिस ने मेरी ज़िन्दगी में मेरी ज़ियारत की...
और पढ़ो »हमारे बड़ों के अख़लाक़
“हम ने अपने बड़ों के मुतअल्लिक़ सुना के लोग उन के हालात देख कर और उन की सूरतों को देख कर ही मुसलमान हो जाया करते थे, एक हम हैं के हमारे अख़लाक़ देख कर लोग कहां जाएं.”...
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