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बड़ो की इस्लाह का तरीक़ा

मौलवी मोहम्मद रशीद की इस बात से मेरा जी बड़ा ख़ुश हुवा, क्युंकि ज़ाहिर करना तो ज़रूरी ही था लेकिन उन्होंने निहायत अदब से ज़ाहिर किया. यह पूछा के क्या यह बैअ (ख़रीदो फ़रोख़्त) में तो दाख़िल नहीं...

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नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ४

दोनों पैरों को ऊंगलियों के सहारे ज़मीन पर इस तरह रखें के ऊंगलियों का रूख़ क़िब्ले की तरफ़ हो. सजदे की हालत में दोनों पैरों की ऐड़ियों को मिला कर रखना या उन को अलाहिदा रखना दोनों जाईज़ हैं. हदीष शरीफ़ में दोनों तरीक़े वारिद हैं...

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(३) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

सवालः क्या मय्यित के क़रीब रिश्तेदार औरतें तअज़ियत करे या मोहल्ले की दूसरी औरतें भी तअज़ियत कर सकती हैं? जवाबः तअज़ियत सुन्नत है और तअज़ियत की सुन्नत मय्यित के क़रीबी रिश्तेदारों के साथ मख़सूस नहीं है. बलके मय्यित के क़रीबी रिश्तेदार और वह लोग जो मय्यित के रिश्तेदार नहीं हैं सब तअज़ियत कर सकते हैं...

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मोहब्बत का बग़ीचा (सोलहवां प्रकरण)‎

अल्लाह तआला ने दुनिया को सब से बेहतरीन शकल में पैदा किया है और उस का निज़ाम इतना मुसतहकम(मज़बूत) बनाया है के दुनिया का हर चीज़ मुकम्मल व्यवस्थित अंदाज़ मां अल्लाह तआला की इच्छा के अनुसार चल रही है...

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वास्तविक धन

“अल्लाह का नाम लिए जावो मरने के बाद यही काम आवेगा, मेरे प्यारो ! कहना मानो फिर कोई तुम को केहने वाला नही रहेगा, जब मरने वाला मरता है तो यहां वाले तो युं केहते हैं, अहलो अयाल के लिए क्या छोड़ा और वहां वाले पूछते हैं क्या लाया...

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