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अलहे हक़ से दुश्मनी न होना ग़नीमत है

हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः   “यह भी नफ़अ से ख़ाली नही के अगर इन्सान कुछ भी न करे तो कम से कम उस को अहले हक़ से दुश्मनी (दीली बुग़्ज़ और कीना) तो न हो यह दुश्मनी बहोत ही ख़तरनाक चीज़ है.” (मलफ़ूज़ाते हकीमुल …

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कोई चीज़ भूलने के वक़्त दुरूद शरीफ़ पढ़ना

عن أنس رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: إذا نسيتم شيئا فصلوا علي تذكروه إن شاء الله تعالى (أخرجه أبو موسى المديني بسند ضعيف كما في القول البديع صـ ٤٤۸) हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया …

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मोहब्बत का बग़ीचा (दसवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم घरों में बरकत और ख़ुशहाली कैसे आएगी? एक मर्तबा रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) सफ़र में थे. उसी उषना (दरमियान) में हज़रत आंयशा (रज़ि) ने घर के दरवाज़े पर एक परदा लटका दिया, जिस पर जानदार की तस्वीरें थीं, क्युंकि उस वक्त तक हज़रत आंयशा (रज़ि.) …

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