दूरी की हालत में अपनी रूह को ख़िदमते अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) में भेजा करता था, वह मेरी नाईब बन कर आस्ताना मुबारक चूमती थी, अब जिस्मों की हाज़री की बारी आई है अपना दस्ते मुबारक अता कीजिये, ताकि मेरे होंठ उस को चूमें...
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़र्माया: أبو عبيدة في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالج…
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सुरए तकाषुर की तफ़सीर
بِسۡمِ اللّٰہِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِیۡمِ اَلۡہٰکُمُ التَّکَاثُرُ ۙ﴿۱﴾ حَتّٰی زُرۡتُمُ الۡمَقَابِرَ ؕ﴿۲﴾ کَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ۙ﴿۳﴾ ثُمَّ کَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ؕ﴿۴﴾ کَلَّا لَوۡ تَعۡلَمُوۡنَ عِلۡمَ الۡیَقِیۡنِ ؕ﴿۵﴾ لَتَرَوُنَّ الۡجَحِیۡمَ ۙ﴿۶﴾ ثُمَّ لَتَرَوُنَّہَا عَیۡنَ الۡیَقِیۡنِ ۙ﴿۷﴾ ثُمَّ لَتُسۡـَٔلُنَّ یَوۡمَئِذٍ عَنِ النَّعِیۡمِ ﴿۸﴾ एक दूसरे से ज़्यादा (दुनयवी साज़ो सामान) हासिल करने …
और पढ़ो »अल्लाह तआला से हंमेशा हुस्ने ज़न की ज़रूरत
जब बंदे के ऊपर अल्लाह तआला के हर क़िसम के एहसानात हैं और फिर भी बंदा अल्लाह तआला के साथ अपना गुमान नेक न रखे, बलके यही ख़्याल करता रहे के अल्लाह तआला मुझ से नाराज़ हैं, तो यह कितना बुरा ख़्याल है...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – २
तकबीरे तहरीमा केहते वक़्त अपने सर को सीधा रखें. तकबीरे तहरीमा केहते वक़्त अपने सर को न तो आगे की तरफ़ झुकायें और न पीछे की तरफ़, बलके बिलकुल सीधा रखें...
और पढ़ो »जुम्आ के दिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से अस्सी (८०) साल के गुनाहों की माफ़ी और अस्सी (८०) साल की इबादतों का षवाब
जुम्आ के दिन असर की नमाज़ के बाद अपनी जगह से उठने से पेहले अस्सी (८०) मर्तबा नीचे लीखा हुवा दुरूद पढ़ता है उस के अस्सी (८०) साल के गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं और उस को अस्सी (८०) साल की इबादतों का षवाब मिलता हैः اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ النَّبِيِّ الْأُمِّيِّ وَعَلٰى آلِهِ وَسَلِّمْ تَسْلِيْمًا “ए अल्लाह ! उम्मी नबी मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) और उन की आलो औलाद पर ख़ूब ख़ूब दुरूदो सलाम भेज.”۔۔۔
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