रात की इब्तिदा ग़ुरूबे शम्स से होती है और इन्तिहा सुबह सादिक़ के वक़्त होती है. जहां तक दिन के अवक़ात की बात है, तो बेहतर यह है के शौहर दिन के अवक़ात भी अपनी बीवीयों के दरमियान बराबरी के साथ गुज़ारे (अगरचे उस में बराबरी ज़रूरी नहीं है)...
और पढ़ो »हज़रत रसूलुल्लाह स.अ.व. की लानत
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: رغم أنف رجل ذكرت عنده فلم يصل علي، …
इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
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हर अच्छे काम का अंत इस्तिग़फ़ार से करना
लिहाज़ा तबलीग़ का काम भी हंमेशा इस्तिग़फ़ार ही पर ख़तम किया जाए. बंदे से किसी तरह भी अल्लाह तआला के काम का हक़ अदा नहीं हो सकता. तथा एक काम में व्यस्तता बहोत से दूसरे कामों के न हो सकने का भी कारण बन जाती है. तो इस प्रकार की चीज़ों की क्षतीपूर्ती (तलाफ़ी) के लिए भी हर अच्छे काम के ख़तम पर इस्तिग़फ़ार करना चाहिए...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ३
तकबीराते इन्तेक़ालिया (वह तकबीरें जो नमाज़ में एक हयअत से दूसरी हयअत की तरफ़ मुनतक़िल होने के दौरान कहीं जाती हैं) की इब्तिदा उस वक़्त करें, जब आप एक हयअत से दूसरी हयअत की तरफ़ मुनतक़िल होने लगें और दूसरी हयअत पर पहोंच कर ख़तम कर दें. मषलन, जुं ही आप क़याम से रूकुअ के लिये झुकना शुरूअ करें, तो तकबीर शुरूअ कर दें और रूकुअ तक पहोंच कर तकबीर ख़तम कर दें...
और पढ़ो »(२) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
अगर कोई मय्यित के घर जाए और वहां खाना पेश किया जा रहा हो, तो क्या वह खाना तनावुल करना जाईज़ है? क्या मय्यित के घर उस के घरवाले और मेहमानों के लिए खाना भेजना जाईज़ है?...
और पढ़ो »ग़फ़लत की जगहों में दुरूद शरीफ़ पढ़ना
“ए मेरे भतीजे ! मेरी किताब “अश शिफ़ा बितअरीफ़ि हुक़ूक़िल मुस्तफ़ा” को मज़बूती से पकड़ लो और उस को अल्लाह तआला के नज़दीक मक़बूलियत हासिल करने का ज़रीआ बनावो.”...
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