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नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम का सलाम करने वाले को जवाब देना

عن أبي هريرة رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: ما من أحد يسلم علي إلا رد الله علي روحي حتى أرد عليه السلام (سنن أبي داود، الرقم:۲٠٤۱، وسنده جيد كما قال العراقي في المغني عن حمل الأسفار في الأسفار صـ ۳٦۷) رواه أحمد في رواية …

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मोहब्बत का बग़ीचा (एकिसवां प्रकरण)‎

ए बिशर ! तुम ने हमारा नाम ज़मीन से उठाया और उस में ख़ुश्बू लगाई, बेशक हम तुम्हारा नाम दुनिया और आख़िरत में रोशन करेंगे. इस अमल की वजह से अल्लाह तआला ने मुझे यह स्थान अता फरमाया है...

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लोगों को दीन की तरफ़ राग़िब करना

मौतो हयात का एतेबार नहीं, याद रखो, एक वसिय्यत करता हुं नसीहत करता हुं वह यह के जहां तक हो सके हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की इत्तेबा की कोशिश करो. दूसरी बात जो इस वक़्त केहनी है वह यह के...

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जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल (१३)

मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान ज़िकर करना सवालः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना कैसा है? जवाबः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना सुन्नत से षाबित नहीं है. अलबत्ता ग़ुसल …

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क़यामत के दिन नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु ‘अलैही व-सल्लम के ‎पड़ोसी होने का शर्फ़

“जो शख़्स इरादा कर के मेरी ज़ियारत करे वह क़यामत में मेरे पड़ोस में होगा और जो शख़्स मदीना में क़याम करे और वहां की तंगी और तकलीफ़ पर सबर करे...

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