بسم الله الرحمن الرحيم इस्लाम में ख़ैर ख़्वाही की महत्तवता इस्लाम की तमाम तालीमात (शिक्षाए) में से हर तालीम इन्तिहाई दिल आवेज़ और ख़ूबसूरती को ज़ाहिर करती है. बड़ों का अदब तथा एहतेराम करना, छोटों पर शफ़क़त तथा मेहरबानी करना और वालिदैन और अज़ीज़ो अक़ारिब के अधिकार को पूरा करना …
और पढ़ो »हज़रत उम्मे-सलमह रद़ियल्लाहु अन्हा की हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपनी नमाज़े-जनाज़ा पढ़ाने की वसीयत
أوصت أم المؤمنين السيدة أم سلمة رضي الله عنها أن يصلي عليها سعيد بن زيد رضي الله عنه (مصنف ابن أبي ش…
तजीयत की सुन्नतें और आदाब – 1
मुसीबतज़दा लोगों के साथ ताज़ियत (संवेदना व्यक्त करना) इस्लाम एक सम्पूर्ण और व्यापक जीवन-प्रणाली है। …
एक दुरूद के बदले सत्तर इनाम
عن عبد الرحمن بن مريح الخولاني قال سمعت أبا قيس مولى عمرو بن العاصي يقول: سمعت عبد الله بن عمرو يقول…
अल्लाह त’आला की बेपनाह रहमतें
عن ابن عمر وأبي هريرة رضي الله عنهم قالا قال رسول الله صلى الله عليه وسلم صلوا علي صلى الله عليكم...…
मस्जिद के काम
हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास साहब (रह़िमहुल्लाह) ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: मस्जिदें, मस्जिदे-नबवी …
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सहाबए किराम (रज़ि.) के लिए मोहब्बत
हज़रत जाफ़रूस साईग़(रह.) बयान करते हैं के हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल(रह.) के पड़ोस में एक आदमी रेहता था. जो बहुत से गुनाहों और बुराईयों में शामिल था. एक दिन वह आदमी हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल(रह.) की सभा में हाज़िर हुवा और सलाम किया. हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल(रह.)ने …
और पढ़ो »इख़्लास के साथ मुजाहदा करना
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “अगर कोई शख़्स अपने को तबलीग़ का अहल नहीं समझता तो उस को बेठा रेहना हरगिज़ नहीं चाहिए, बलके उस को तो काम में लगने और दूसरों को उठाने की और ज़्यादा कोशिश करना चाहिए, बाज़ दफ़ा एसा होता है …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ११
नेक आमाल के ज़रीए नफ़ल हज्ज के षवाब का हुसूल अगर किसी शख़्स के पास हज्ज करने के लिए माली वुस्अत न हो, तो उस का यह मतलब नहीं है के एसे शख़्स के लिए दीनी तरक़्क़ी और अल्लाह तआला की मोहब्बत के हुसूल का कोई और तरीक़ा नहीं है, …
और पढ़ो »मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – ३
मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब (१) हज्ज तथा उमरह अदा करने के बाद आप इस बात का प्रबंध करें के आप मदीना मुनव्वरह जाऐं और रवज़ए मुबारक की ज़ियारत करें, क्युंकि हदीष शरीफ़ में नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के जिस शख़्स ने हज्ज किया और …
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