सवाल – अगर किसी केज़िम्मे बहोत क़ज़ा नमाज़ें हैं, क्या रमज़ान के महीने में तरावीह की नमाज़ के बदले क़ज़ा नमाज़ें पढ़ सकता है?
और पढ़ो »रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की मुबारक ज़िन्दगी में फ़तवा देने का शर्फ़
كان سيدنا عبد الرحمن بن عوف رضي الله عنه من الصحابة الكرام الذين شرفهم الله بالإفتاء على عهد رسول ال…
दुआ की सुन्नतें और आदाब – ७
(१७) बेहतर यह है कि जामे’ दुआ करें। हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हज़रत रसूलुल्ल…
जन्नत में दाख़िल करने वाले अमल को छोड़ना
عن حسين بن علي رضي الله عنهما قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم... …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
हररोज रात दिन तीन मर्तबा दुरूद-शरीफ़ पढ़ने का सवाब
عن ابي كاهل رضي الله عنه قال قال لي رسول الله صلى الله عليه وسلم... …
નવા લેખો
हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – १
हज्ज और उमरह हदीष शरीफ़ में नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने दीने इस्लाम को एक एसे ख़ैमे से तश्बीह दी है, जिस की बुनियाद पांच सुतूनों पर क़ाईम है. इन सुतूनों में से मरकज़ी और सब से अहम सुतून “शहादत” है और दूसरे सुतून नमाज़, ज़कात, रोज़ा और हज्ज …
और पढ़ो »सुरए माऊन
क्या आप ने उस शख़्स को देखा है जो रोज़े जज़ा को झुटलाता है (१) तो वह वह शख़्स है जो यतीम को घक्के देता है (२) और मोहताज को खाना देने की तरग़ीब नहीं देता (३) फिर बड़ी ख़राबी है उन नमाज़ियों के लिए (४)...
और पढ़ो »अख़लाक़ और निस्बत
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “दूसरी बात यह है के निस्बत अलग है और अख़लाक़ अलग हैं. निस्बत ख़ास तअल्लुक़ मअल्लाह है जितना बढ़ावोगे बढ़ेगा घटावोगे घटेगा और एक है अख़लाक़. अख़लाक़ का तअल्लुक़ हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सीरते तय्यिबा से है …
और पढ़ो »क़ज़ा की निय्यत से शव्वाल के छ रोज़े रखना
सवाल – में शव्वाल के छ नफ़ल रोज़े क़ज़ा की निय्यत से रखना चाहता हुं, अगर में उन छ नफ़ल रोज़ों को क़ज़ा की निय्यत से रखुं, तो क्या मुझे शव्वाल के उन छ नफ़ल रोज़ों का मख़सूस षवाब (जो हदीष शरीफ़ में वारिद है) मिलेगा?
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