हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “अगर कोई शख़्स अपने को तबलीग़ का अहल नहीं समझता तो उस को बेठा रेहना हरगिज़ नहीं चाहिए, बलके उस को तो काम में लगने और दूसरों को उठाने की और ज़्यादा कोशिश करना चाहिए, बाज़ दफ़ा एसा होता है …
और पढ़ो »जन्नत में दाख़िल करने वाले अमल को छोड़ना
عن حسين بن علي رضي الله عنهما قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم... …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
हर शबो रोज़ तीन मर्तबा दुरूद शरीफ़ पढ़ने का षवाब
عن ابي كاهل رضي الله عنه قال قال لي رسول الله صلى الله عليه وسلم... …
तबूक की लड़ाई के अवसर पर हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रद़ियल्लाह अन्हु का अपना माल खर्च करना
لما حضّ رسول الله صلى الله عليه وسلم الصحابة رضي الله عنهم على الإنفاق تجهيزا للجيش لغزوة تبوك، أنفق…
अल्लाह की नज़र से गिरने की एक वजह
एक दीनी मद्रसा के एक मशहूर उस्ताद का ज़िक्र करते हुए हज़रत मौलाना मुह़म्मद इल्यास साहिब रह़िमहुल्लाह…
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हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ११
नेक आमाल के ज़रीए नफ़ल हज्ज के षवाब का हुसूल अगर किसी शख़्स के पास हज्ज करने के लिए माली वुस्अत न हो, तो उस का यह मतलब नहीं है के एसे शख़्स के लिए दीनी तरक़्क़ी और अल्लाह तआला की मोहब्बत के हुसूल का कोई और तरीक़ा नहीं है, …
और पढ़ो »मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – ३
मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब (१) हज्ज तथा उमरह अदा करने के बाद आप इस बात का प्रबंध करें के आप मदीना मुनव्वरह जाऐं और रवज़ए मुबारक की ज़ियारत करें, क्युंकि हदीष शरीफ़ में नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के जिस शख़्स ने हज्ज किया और …
और पढ़ो »मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – २
रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के रवज़ए मुबारक की ज़ियारत के फ़ज़ाईल नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की शफ़ाअत का हुसूल हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः जो शख़्स मेरी क़बर की ज़ियारत करे, उस के लिए मेरी शफ़ाअत वाजिब …
और पढ़ो »मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – १
मदीना मुनव्वरह की ज़ियारत मदीना मुनव्वरह में हज़रत रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के रवज़ए मुबारक पर हाज़री इन्तिहाई अज़ीम सआदत और बड़ी नेअमतों में से है जिस से किसी मोमिन को सरफ़राज़ किया जा सकता है. अल्लाह सुब्हानहु वतआला जिस शख़्स को यह सआदत नसीब फ़रमाए, उस को चाहिए …
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