पवित्र पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: إن أهل الدرجات العلى ليراهم من تحتهم كما ترون النجم الطالع في أفق السماء، وإن أبا بكر وعمر منهم وأنعما जन्नत में ऊँचे पद वालों को वे लोग जो उनसे (रैंक में) नीचे होंगे इस तरह देखेंगे जिस तरह तुम आकाश में …
और पढ़ो »जुम्आ के दिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से दीनी और दुनयवी ज़रूरतों की तकमील
सुलहे हुदैबियह के मोक़े पर नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने हज़रत उषमान (रज़ि.) को मक्का मुकर्…
हज़रत बिलाल रद़ियल्लाहु अन्हु – इस्लाम के पहले मुअज़्ज़िन
ذكر العلامة ابن الأثير رحمه الله أن سيدنا بلالا رضي الله عنه كان أول من أذن في الإسلام. وكان يؤذّن ل…
इयादते-मरीज़ की सुन्नतें और आदाब – २
इयादते-मरीज़ के फज़ाइल सत्तर हज़ार फ़रिश्तों की दुआ का हुसूल हज़रत अली रद़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत ह…
दुरूद शरीफ़ ग़ुर्बत दूर करने का ज़रीआ
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के एक मर्तबा नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के…
हज़रत बिलाल रद़ियल्लाहु अन्हु – हब्शियों में सबसे पहले मुसलमान
عن سيدنا أنس رضي الله عنه أنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: السباق (أقوامهم إلى الإسلام) أر…
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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब – ५
तलाक़ के बाज़ मसाईल (१) तलाक़ सिर्फ़ शौहर का हक़ है और सिर्फ़ शौहर तलाक़ दे सकता है. बिवी तलाक़ नहीं दे सकती है. अलबत्ता अगर शौहर अपनी बिवी को तलाक़ देने का हक़ दे दे, तो इस सूरत में बिवी अपने आप को तलाक़ दे सकती है, लेकिन बिवी …
और पढ़ो »मशवरा का महत्व
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः मशवरा बहुत बड़ी चीज़ है, अल्लाह का वादा है कि जब तुम मशवरा के लिए अल्लाह पर भरोसा करके जम के बैठोगे तो उठने से पहले तुमको सीधे रास्ते की तौफीक मिल जाएगी। (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब …
और पढ़ो »मुहर्रम और आशूरा की सुन्नतें और आदाब
मुहर्रम और आशूरा अल्लाह तआला का निज़ाम (प्रणाली) है के उनहोंने कुछ चीज़ों को कुछ चीज़ों पर विशेष फ़ज़ीलत और ऎहमीयत (महत्वता) दी है. चुनांचे ईन्सानों में से अम्बीयाए किराम अलयहिमुस्सलातु वस्सलाम को दीगर लोगों पर ख़ास फ़वक़ियत (प्राथमिकता) और फ़ज़ीलत दी गई है. दुन्या के दीगर हिस्सों के बनिस्बत …
और पढ़ो »नए इस्लामी साल की दुआ
सवाल – नये इस्लामी साल या नये इस्लामी महीने की कोई दुआ हदीस से साबित है या नहीं? बहोत से लोग ख़ास तौर पर उस दिन एक दूसरे को दुआएं भेजते हैं. उस की क्या हक़ीक़त है?
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