विभिन्नन मवाक़ेअ और समयो के लिए मसनून सूरतें बाज़ विशेष सूरतों के बारे में अहादीषे मुबारका में आया है के उन्हें रात और दिन के विशेष समयो अथवा हफ़ते के विशेष दिनों में पढ़ा जाए, लिहाज़ा इन सूरतों को निश्चित समयो में पढ़ना मुस्तहब हैः (१) सोने से पेहले सुरए …
और पढ़ो »हज़रत उम्मे-सलमह रद़ियल्लाहु अन्हा की हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपनी नमाज़े-जनाज़ा पढ़ाने की वसीयत
أوصت أم المؤمنين السيدة أم سلمة رضي الله عنها أن يصلي عليها سعيد بن زيد رضي الله عنه (مصنف ابن أبي ش…
तजीयत की सुन्नतें और आदाब – 1
मुसीबतज़दा लोगों के साथ ताज़ियत (संवेदना व्यक्त करना) इस्लाम एक सम्पूर्ण और व्यापक जीवन-प्रणाली है। …
एक दुरूद के बदले सत्तर इनाम
عن عبد الرحمن بن مريح الخولاني قال سمعت أبا قيس مولى عمرو بن العاصي يقول: سمعت عبد الله بن عمرو يقول…
अल्लाह त’आला की बेपनाह रहमतें
عن ابن عمر وأبي هريرة رضي الله عنهم قالا قال رسول الله صلى الله عليه وسلم صلوا علي صلى الله عليكم...…
मस्जिद के काम
हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास साहब (रह़िमहुल्लाह) ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: मस्जिदें, मस्जिदे-नबवी …
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बाग़े मुह़ब्बत (बत्तीसवाँ अंक)
शरीक-ए-हयात का इंतिख़ाब – भाग १ जीवनसाथी पसंद करते वक्त हर शख्स के मन में कुछ फिकर और डर होता हैं। लड़के को अच्छी बीवी के इंतिख़ाब की फिकर होती है जो उसके स्वभाव के मुताबिक हो; ताकि वह खुशगवार ज़िन्दगी गुज़ार सके। उसी तरह, उसको यह फिकर होती है …
और पढ़ो »उम्मत पर सबसे अधिक दयालु सहाबी
قال سيدنا رسول الله صلى الله عليه وسلم: أرحم أمتي بأمتي أبو بكر (سنن الترمذي، الرقم: ٣٧٩٠) हज़रत रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इरशाद फरमाया कि “मेरी उम्मत में सबसे अधिक मेरी उम्मत पर दयालु (हज़रत) अबु बक्र रदी अल्लाहु अन्हु हैं हज़रत अबु बक्र का रसूले अकरम सल्लल्लाहु …
और पढ़ो »सहाबा ए किराम (रज़ि) के लिए जन्नत का वादा
अल्लाह तआला का मुबारक फरमान है: أَعَدَّ اللَّهُ لَهُم جَنّٰتٍ تَجرى مِن تَحتِهَا الأَنهٰرُ خٰلِدينَ فيها ذٰلِكَ الفَوزُ العَظيمُ (سورة التوبة: ۸۹) अल्लाह तआला ने उनके लिए एसे बाग़ात तैयार कर रखे हैं, जिन के नीचे नहरें बेहती हैं, जिन में ये हमेशा रहेंगे। ये बङी कामयाबी है। हज़रत अनस …
और पढ़ो »दीन के सारे कामों के लिए दुआ करना
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः तुम अपने समय की कदर करो, ( एेतेकाफ की हालत में ) बातें बिल्कुल न करो, हम सब की नीयत (मंशा) यह हो के दुनिया में जितने दिन के शोबे (सेक्टर) चल रहे हैं, अल्लाह सबको तरक्की दे. …
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