क़यामत की बड़ी अलामतों से पेहले छोटी अलामतों का ज़ुहूर अहादीषे मुबारका में क़यामत की बहोत सी छोटी अलामतें बयान की गई हैं. इन छोटी अलामतों पर ग़ौर करने से हमें मालूम होता है के यह छोटी अलामतें जब पूरे आलम में तिव्रता के साथ रूनुमां होंगी और वह रफ़ता …
और पढ़ो »हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया: عبد الرحمن في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالجنة ف…
फ़रिश्तों की मुसलसल दुआ
عَن عَامِر بن رَبِيَعَة رَضِي اللهُ عَنهُ عَن النّبي صَلَّى اللهُ عَلَيهِ وَ سَلَّمَ قَالَ مَا مِن م…
दुरूद लिखने वाले फ़रिश्ते
عن عقبة بن عامر رضي الله عنه قال : قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : إن للمساجد أوتادا جلساؤهم المل…
हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ियल्लाह अन्हु एक बेहतरीन मुसलमान
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ियल्लाह अन्हु के बारे में फ़रमा…
अज़ान के बाद दुरूद-शरीफ़ पढ़ना
عن عبد الله بن عمرو بن العاص رضي الله عنهما أنه سمع النبي صلى الله عليه وسلم يقول: إذا سمعتم المؤذن …
નવા લેખો
सहाबए किराम (रज़ि.) उम्मत के लिए ख़ैरो भलाई का ज़रीया हैं
रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मेरे सहाबा की मिषाल मेरी उम्मत में खाने में नमक की तरह है के खाना बग़ैर नमक के अच्छा (और लज़ीज़) नहीं हो सकता.”(शर्हुस्सुन्नह, रक़म नं- ३८६३) हज़रत ज़ैद बिन दषीना (रज़ि.) की मुहब्बत हज़रत रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए जब …
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (तीसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (रह.) की बुज़ुर्गी और सच्चाई का क़िस्सा हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी (रह.) छठ्ठी सदी हीजरी के जलीलुल क़दर उलमा अने उच्च तरीन बुज़ुर्गाने दीन में से थे. अल्लाह तआला ने आप को बे पनाह मक़बूलियत अता फ़रमाई थी जिस की …
और पढ़ो »पूरी उम्मत पर सहाबए किराम (रज़ि.) की फ़ज़ीलत
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है के नबी (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के “मेरे सहाबा को गालियां न दिया करो ! क़सम है उस ज़ात की जिस के क़बज़े में मेरी जान है, अगर तुम में से कोई शख़्स उहद पहाड़ के बराबर सोना ख़र्च करे, तो …
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (उनतीसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم वालिदैन का अपनी औलाद के लिए अमली नमूना नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) अल्लाह तआला की तमाम मख़लूक़ में से सब से अफ़ज़ल और बरतर थे. अल्लाह तआला ने आप को अपना आख़री रसूल बना कर भेजा और आप को सब से बेहतरीन दीन, दीने इस्लाम …
और पढ़ो »