उमरह और हज्ज का तरीक़ा सामान्य तौर पर लोग हज्जे तमत्तुअ अदा करते हैं (यअनी हज्ज के महीनों में उमरह अदा करते हैं फिर एहराम खोल देते हैं और जब हज्ज के दिन आते हैं तो दूसरा एहराम बांघ कर हज्ज अदा करते हैं) इसलिए ज़ैल में हज्जे तमत्तुअ अदा …
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शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़र्माया: أبو عبيدة في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالج…
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हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ६
हज्ज की तीन क़िस्में हज्ज की तीन क़िस्में हैंः (१) हज्ज इफ़राद (२) हज्ज तमत्तुअ (३) हज्ज क़िरान हज्जे इफ़राद हज्जे इफ़राद यह है के इन्सान हज्ज का एहराम बांध कर सिर्फ़ हज्ज करे और हज्ज के महीनों में हज्ज से पेहले उमरह न करे. [१] हज्जे तमत्तुअ हज्जे तमत्तुअ …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ५
मक्का मुकर्रमह के सुननो आदाब (१) मक्का मुकर्रमह में क़याम के दौरान हर वक़्त इस मुबारक जगह की अज़मत और हुरमत का ख़्याल रखें और यह बात ज़हन में रखें के तमाम अंबिया (अलै.), सहाबए किराम (रज़ि.), ताबिईने इज़ाम और अवलियाए किराम (रह.) बकषरत इस मुबराक जगह (मक्का मुकर्रमह) तशरीफ़ …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ४
हज्ज और उमरह अदा करने वालों के लिए हिदायात (१) जब अल्लाह तआला किसी सआदत मंद शख़्स को हज्ज अदा करने का मौक़ा नसीब फ़रमाए, तो उस को इस महान ज़िम्मेदाी को अदा करने में ताख़ीर नही करनी चाहिए. किसी भी सूरत में बिला ज़रूरत उस को नहीं टालना चाहिए. …
और पढ़ो »हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ३
फ़रीज़ए हज्ज से ग़फ़लत बरतने पर वईद जिस तरह फ़रीज़ए हज्ज अदा करने वालों के लिए बे पनाह अजरो षवाब का वादा है, इसी तरह इसतिताअत (ताक़त) के बावजूद फ़रीज़ए हज्ज से ग़फ़लत बरतने वालों के लिए बड़ी सख़्त वईदें वारिद हुई हैं. नीचे में कुछ वइदें नकल की जाती …
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