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मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – २

रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के रवज़ए मुबारक की ज़ियारत के फ़ज़ाईल नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की शफ़ाअत का हुसूल हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः जो शख़्स मेरी क़बर की ज़ियारत करे, उस के लिए मेरी शफ़ाअत वाजिब …

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मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – १

मदीना मुनव्वरह की ज़ियारत मदीना मुनव्वरह में हज़रत रसूले ख़ुदा (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के रवज़ए मुबारक पर हाज़री इन्तिहाई अज़ीम सआदत और बड़ी नेअमतों में से है जिस से किसी मोमिन को सरफ़राज़ किया जा सकता है. अल्लाह सुब्हानहु वतआला जिस शख़्स को यह सआदत नसीब फ़रमाए, उस को चाहिए …

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दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से ज़रूरतों की तकमील

“जो शख़्स मेरी क़बर के पास खड़ा हो कर मुझ पर दुरूद पढ़ता है में उस को ख़ुद सुनता हुं और जो किसी और जगह दुरूद पढ़ता है तो उस की दुनिया और आख़िरत की ज़रूरतें पूरी की जाती हैं और में क़यामत के दिन उस का गवाह और उस का सिफ़ारिशी होवुंगा”...

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क़ुर्बानी की सुन्नतें और आदाब

(१) दिने इस्लाम में क़ुर्बानी एक अज़ीम और ‘अज़ीमुश्शान इबादत है. चुनांचे क़ुर्आने करीम में खास तौर पर ज़िकर किया गया है. तथा क़ुर्आने पाक और अहादीषे मुबारका में उस की बहोत सी फ़ज़ीलतें बयान की गई हैं. अल्लाह सुब्हानहु व त’आला का इरशाद हैः لَن يَنَالَ اللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا …

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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम को दुरूद पहोंचाने वाला फ़रिश्ता

عن عمار بن ياسر رضي الله عنه قال : قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : إن لله ملكا أعطاه أسماع الخلائق، فهو قائم على قبري إذا مت، فليس أحد يصلي علي صلاة إلا قال : يا محمد صلى عليك فلان ابن فلان...

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