हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: عثمان في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالجنة في الدنيا) (سنن الترمذي، الرقم: ٣٧٤٧) उस्मान जन्नत में होंगे (यानी वह उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें इस दुनिया में जन्नत की खुशखबरी दी गई)। मस्जिदे ह़राम को कुशादा करने के लिए ज़मीन …
और पढ़ो »जन्नत में दाख़िल करने वाले अमल को छोड़ना
عن حسين بن علي رضي الله عنهما قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم... …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
हररोज रात दिन तीन मर्तबा दुरूद-शरीफ़ पढ़ने का सवाब
عن ابي كاهل رضي الله عنه قال قال لي رسول الله صلى الله عليه وسلم... …
तबूक की लड़ाई के अवसर पर हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रद़ियल्लाह अन्हु का अपना माल खर्च करना
لما حضّ رسول الله صلى الله عليه وسلم الصحابة رضي الله عنهم على الإنفاق تجهيزا للجيش لغزوة تبوك، أنفق…
अल्लाह की नज़र से गिरने की एक वजह
एक दीनी मद्रसा के एक मशहूर उस्ताद का ज़िक्र करते हुए हज़रत मौलाना मुह़म्मद इल्यास साहिब रह़िमहुल्लाह…
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हज़रत उस्मान रदि अल्लाहु ‘अन्हु का अपने लिए जन्नत खरीदना
गज़व ए तबूक के मौके पर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत उस्मान रदि अल्लाहु ‘अन्हु के बारे में फ़रमाया: ما على عثمان ما عمل بعد هذه (أي: ليس عليه أن يعمل عملا أخر لشراء الجنة بعد إنفاقه ست مائة بعير لتجهيز جيش تبوك). (سنن الترمذي، الرقم: ٣٧٠٠) …
और पढ़ो »फ़रिश्तों का शर्माना हज़रत उस्मान से
एक मर्तबा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: رحم الله عثمان، تستحييه الملائكة (سنن الترمذي، الرقم: ٣٧١٤) अल्लाह त’आला हज़रत उस्मान पर रहम फरमाए, (वह ऐसे शख्स हैं कि) फ़रिश्ते भी उनके सामने ह़या करते हैं। आखिरत में हिसाब की फिकर एक मर्तबा हज़रत उस्मान रदि अल्लाहु ‘अन्हु अपने …
और पढ़ो »उहुद पहाड़ का खुशी से झूमना
صعد النبي صلى الله عليه وسلم جبل أحد ومعه سيدنا أبو بكر رضي الله عنه وسيدنا عمر رضي الله عنه وسيدنا عثمان رضي الله عنه. فرجف أحد (من شدة الفرح بوضع هؤلاء الأجلاء أقدامهم عليه)، فضرب سيدنا رسول الله صلى الله عليه وسلم الجبل برجله وقال: اسكن أحد، فليس عليك …
और पढ़ो »लोगों की इस्लाह के वक्त रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अंदाज
अम्र बिल मारूफ और नही ‘अनिल मुन्कर ( नेक कामों का हुकम देना और बुरे कामों से रोकना) दीन का एक अहम फ़रीज़ा (कर्तव्य) है; लेकिन इन्सान के लिए जरूरी है कि वह जिस की इस्लाह करना चाहता है उसके बारे में उसको इल्म हो, नीज़ उस को यह भी …
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