अल्लाह त’आला की नेमतें एक हदीस में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह सूरत (सूरह तकाषुर) तिलावत फरमायी और जब यह पढ़ा – ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ फिर उस दिन, नेमतों से सवाल किए जाओगे। तो इर्शाद फरमाया कि तुम्हारे रब के सामने तुमसे ठंडे पानी का …
और पढ़ो »हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपने वालिद की मग्फ़िरत की फिक्र
جاء سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه مرة إلى النبي صلى الله عليه وسلم فقال: يا رسول الله إن (أبي) زيدا…
दस नेकियों का हासिल होना
عن أبي هريرة قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي مرة واحدة كتب الله عز وجل له بها عشر حس…
सवाब ठोस भरकर मिलेगा
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من سره أن يكتال بالمكيال الأوفى إذا ص…
हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु के दिल में सहाबा-ए-किराम रद़ियल्लाहु अन्हुम का अज़ीम एहतिराम
ذات مرة، خاطب سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه الناس فأقسم بالله وقال: والله لمشهد شهده رجل يغبر فيه و…
दस रहमतों का हुसूल
عن أبي هريرة أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: من صلى علي واحدة صلى الله عليه عشرا... …
નવા લેખો
हज़रत सा’द रदि अल्लाहु अन्हू के लिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ
قيل لسيدنا سعد بن أبي وقاص رضي الله عنه: متى أصبت الدعوة (أي استجابة دعائك)؟ قال: يوم بدر، كنت أرمي بين يدي النبي صلى الله عليه وسلم، فأضع السهم في كبد القوس، أقول: اللهم زلزل أقدامهم، وأرعب قلوبهم، وافعل بهم وافعل، فيقول النبي صلى الله عليه وسلم: اللهم استجب لسعد …
और पढ़ो »फज़ाइले सदकात – ૧
वालिदैन का ऐहतिराम हज़रत तल्हा रज़ि० फरमाते हैं कि हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खिदमत में एक शख़्स हाज़िर हुए और जिहाद में शिर्कत की दख्र्वास्त की। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, तुम्हारी वालिदा ज़िंदा हैं? उन्होंने अर्ज किया, ज़िंदा हैं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल-३
सुल्हे हुदैबिया में अबू जुंदल रज़ि० और अबूबसीर रज़ि० का क़िस्सा सन् ६ हि० में हुज़ूरे अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ‘उमरा के इरादे से मक्का तशरीफ ले जा रहे थे। कुफ्फारे मक्का को इस की खबर हुई और वो इस खबर को अपनी ज़िल्लत समझै, इस लिए मुज़ाह़मत की …
और पढ़ो »फज़ाइले आमाल – २
क़िस्सा हज़रत अनस बिन नज़्र रज़ि० की शहादत का हजरत अनस बिन नज़्र रजि० एक सहाबी थे जो बद्र की लड़ाई में शरीक नहीं हो सके थे। उनको इस चीज का सदमा था, इस पर अपने नफ़्स को मलामत करते थे कि इस्लाम की पहली अज़ीमुश्शान लड़ाई और तू उसमें …
और पढ़ो »