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फज़ाइले-सदकात – ६

‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह निशानियाँ इमाम गज़ाली रहिमहुल्लाह फरमाते हैं कि जो आलिम दुनियादार हो वह अह़वाल (हालत,परिस्थिति,मुआमले) के एतिबार से जाहिल से ज़्यादा कमीना है और अज़ाब के एतिबार से ज़्यादा सख़्ती में मुब्तला होगा और कामयाब और अल्लाह-तआला के यहां मुकर्रब उलमा-ए-आख़िरत हैं जिनकी चंद आलमतें हैं। पहेली अलामत: …

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फज़ाइले-सदकात – ५

अपने आमाल को हकीर समझना सदका देने के बारे में एक अदब यह है कि अपने सदके को ह़कीर समझे, उसको बड़ी चीज़ समझने से ‘उज्ब (खुद पसंदी) पैदा होने का अंदेशा है, जो बड़ी हलाकत की चीज़ है और नेक आमाल को बर्बाद करने वाली है। हक तआला शानुहू …

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जन्नत में रसूलुल्लाह सल्लल्लाह अलैही व-सल्लम का पड़ोसी

हज़रत ‘अली रद़ियल्लाहु ‘अन्हु ने हज़रत तल्हा और ज़ुबैर रद़ियल्लाहु ‘अन्हुमा के बारे में फरमाया: سمعت أذني مِن فِيْ رسول الله صلى الله عليه وسلم وهو يقول: طلحة والزبير جاراي في الجنة. (جامع الترمذي، الرقم: ٣٧٤١) मेरे कान ने बराहे-रास्त रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम के मुबारक मुंह से यह इरशाद …

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फज़ाइले-आमाल – ६

हज़रत खब्बाब बिन अल-अरत्त रद़ियल्लाहु ‘अन्हु की तकलीफ़ें हज़रत खब्बाब बिन अल-अरत्त रद़ियल्लाहु ‘अन्हु भी उन्हीं मुबारक हस्तियों में हैं, जिन्होंने इम्तिहान के लिए अपने आप को पेश किया था और अल्लाह के रास्ते में सख्त से सख्त तक्लीफ़ें बर्दाश्त की। शुरू ही में पांच-छः आदमियों के बाद मुसलमान हो …

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फज़ाइले-आमाल – ५

हज़रत अबूज़र ग़िफ़ारी का इस्लाम हजरत अबू ज़र गिफ़ारी रद़ियल्लाहु ‘अन्हु मशहूर सहाबी हैं, जो बाद में बड़े जाहिदों और बड़े उलेमा में से हुए। हज़रत अली कर्रमल्लाहु वज्हहू का इर्शाद है कि अबूजर (रद़ियल्लाहु ‘अन्हु) ऐसे इल्म को हासिल किए हुए हैं, जिससे लोग आजिज़ हैं, मगर उन्होंने इसको …

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