रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस ने मेरे सहाबा को गाली दी, उस पर अल्लाह तआला, फ़रिश्तों और तमाम लोगों की लअनत हो. अल्लाह तआला के नज़दीक न उस की फ़र्ज़ इबादत मक़बूल होती है और न ही नफ़ल इबादत.” (अद दुआ लित तबरानी, रक़म नं- …
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़र्माया: أبو عبيدة في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالج…
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क़र्ज़ लेने का एक उसूल
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “क़र्ज़ की अदायगी वक़्त पर होना बहोत ज़रूरी और मुफ़ीद है. चुनांचे शुरू शरू में मुझ को अहबाब से क़र्ज़ क़ुयूद तथा शराइत के साथ मिला करता था, जब सब को इस बात का तजरबा हो गया के …
और पढ़ो »मुहाजिरीन और अन्सार (रज़ि.) का उच्च मक़ाम तथा मर्तबा
अल्लाह तआला फ़रमाते हैः وَالَّذِينَ آمَنُوا وَهَاجَرُوا وَجَاهَدُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَالَّذِينَ آوَوا وَّنَصَرُوا أُولَٰئِكَ هُمُ الْمُؤْمِنُونَ حَقًّا لَّهُم مَّغْفِرَةٌ وَرِزْقٌ كَرِيمٌ और जो लोग इमान लाए और हिजरत की और अल्लाह के रास्ते में जिहाद किया (यअनी मुहाजिरीन) और जिन लोगों ने (यअनी मुहाजिरीन) और जिन लोगों ने (यअनी अन्सार …
और पढ़ो »बड़ों के मार्गदर्शन में ज्ञान और स्मरण प्राप्त करने का महत्व
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारी इस दीनी दअवत (वतबलीग़) में काम करने वाले (लोग) सब लोगों को यह बात अच्छी तरह समझा देनी चाहिए के तबलीग़ी जमाअतों के निकलने का मक़सद सिर्फ़ दूसरों को (दीन) पोंहचाना और बताना ही नहीं है, बलके इस ज़रीये …
और पढ़ो »क़यामत की अलामात (संकेत)- तीसरा प्रकरण
क़यामत की बड़ी अलामतों से पेहले छोटी अलामतों का ज़ुहूर अहादीषे मुबारका में क़यामत की बहोत सी छोटी अलामतें बयान की गई हैं. इन छोटी अलामतों पर ग़ौर करने से हमें मालूम होता है के यह छोटी अलामतें जब पूरे आलम में तिव्रता के साथ रूनुमां होंगी और वह रफ़ता …
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