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फज़ाइले-सदकात – २०

हज़रत इमाम हसन रज़ि., इमाम हुसैन रज़ि. और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ि. की सख़ावत अबुल हसन मदाइनी रह़िमहुल्लाह कहते हैं कि हज़रत इमाम हसन रज़ि., इमाम हुसैन रज़ि. और हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर रज़ि. हज के लिऐ तशरीफ़ ले जा रहे थे, रास्ते में उनके सामान के ऊँट उनसे …

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इद्दत की सुन्नतें और आदाब – ५

हके-हिज़ानत – बच्चों की परवरिश का हक अलाहिदगी या तलाक की हालत में, बच्चों की परवरिश का हक मां को हासिल होगा, जब तक वो शादी न कर ले। अगर वो किसी ऐसे शख़्स से शादी कर ले जो बच्चो की गैर-महरम हो, तो वो बच्चो की परवरिश का हक …

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दुआ की सुन्नतें और आदाब – ७

(१७) बेहतर यह है कि जामे’ दुआ करें। हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम जामे’ दुआ पसंद फ़रमाते थे और गैर-जामे’ दुआ छोड़ देते थे। नीचे कुछ मसनून दुआ नकल की जा रहे हैं जो मुख़्तलिफ़ अह़ादीसे-मुबारका में वारिद हुई हैं और जामे’ हैं: …

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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के हम-ज़ुल्फ़ (साढ़ू भाई)

قال سيدنا طلحة رضي الله عنه: كان النبي صلى الله عليه وسلم إذا رآني قال: (أنت) سِلْفي (عديلي) في الدنيا وسِلْفي في الآخرة (الأحاديث المختارة، الرقم: ٨٤٩) हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम मुझे देखते तो आप फ़रमाते: (तुम) दुनिया और आख़िरत में …

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