صعد النبي صلى الله عليه وسلم جبل أحد ومعه سيدنا أبو بكر رضي الله عنه وسيدنا عمر رضي الله عنه وسيدنا عثمان رضي الله عنه. فرجف أحد (من شدة الفرح بوضع هؤلاء الأجلاء أقدامهم عليه)، فضرب سيدنا رسول الله صلى الله عليه وسلم الجبل برجله وقال: اسكن أحد، فليس عليك …
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़र्माया: أبو عبيدة في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالج…
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लोगों की इस्लाह के वक्त रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अंदाज
अम्र बिल मारूफ और नही ‘अनिल मुन्कर ( नेक कामों का हुकम देना और बुरे कामों से रोकना) दीन का एक अहम फ़रीज़ा (कर्तव्य) है; लेकिन इन्सान के लिए जरूरी है कि वह जिस की इस्लाह करना चाहता है उसके बारे में उसको इल्म हो, नीज़ उस को यह भी …
और पढ़ो »हज़रत उस्मान रदि अल्लाहु ‘अन्हु की शहादत की पेशीन-गोई
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक खास फितने का जिक्र किया और हज़रत उस्मान रदि अल्लाहु ‘अन्हु के बारे में फ़रमाया: يقتل هذا فيها مظلوما لعثمان (سنن الترمذي، الرقم: ٣٧٠٨) ये शख्स इस फितने में मज़लूम क़त्ल किया जाएगा। (पेशीन-गोई=वक्त से पहले किसी वाकिऐ का बयान करना) हज़रत उस्मान रदि …
और पढ़ो »हज़रत उस्मान रदि अल्लाहु अन्हु के बुलंद अख्लाक
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी साहिबजादी हज़रत रुक़य्या रदि अल्लाहु अन्हा से इर्शाद फ़रमाया: يا بنية: أحسني إلى أبي عبد الله (عثمان)، فإنه أشبه أصحابي بي خلقا (المعجم الكبير للطبراني، الرقم: ٩٨) ऐ मेरी प्यारी बेटी! अपने शौहर उस्मान की खिदमत करना; क्यूंकि वो मेरे सहाबा में …
और पढ़ो »दीन-ओ-ईमान की हिफाजत का तरीका
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: हातिम असम फ़रमाते हैं कि जब तक कुछ हिस्सा क़ुरान शरीफ़ का और कुछ हिस्सा अपने सिलसिले के मुर्शीद-ओ-बुजुर्ग के मल्फ़ूज़ात-ओ-हिकायत का न पढ़ा जाए, तब तक ईमान की सलामती नज़र नहीं आती। (मुर्शीद=शेख, हिदायत वाला सीधा रास्ता बताने …
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