हके-हिज़ानत – बच्चों की परवरिश का हक अलाहिदगी या तलाक की हालत में, बच्चों की परवरिश का हक मां को हासिल होगा, जब तक वो शादी न कर ले। अगर वो किसी ऐसे शख़्स से शादी कर ले जो बच्चो की गैर-महरम हो, तो वो बच्चो की परवरिश का हक …
और पढ़ो »हज़रत बिलाल रद़ियल्लाहु अन्हु – हब्शियों में सबसे पहले मुसलमान
عن سيدنا أنس رضي الله عنه أنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: السباق (أقوامهم إلى الإسلام) أر…
एक मोमिन की ज़िंदगी पर नमाज़ का बड़ा असर
हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास साहिब रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फरमाया: हमारे नज़दीक इस्लाह की तर…
सो (१००) हाजतो का पूरा करना
हजीर जाबिर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जो व्यक…
हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु के ग़ुस्ल में हज़रत साद बिन-अबी वक़्क़ास और हज़रत अब्दुल्लाह बिन-उमर रद़ियल्लाहु अन्हुम की शिरकत
لما توفي سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه، كان سيدنا سعد بن أبي وقاص وسيدنا عبد الله بن عمر رضي الله …
ज़कात की सुन्नतें और आदाब – १
ज़कात इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक अहम रुकन है। ज़कात सन २ हिजरी में रमज़ान के रोज़े से प…
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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के हम-ज़ुल्फ़ (साढ़ू भाई)
قال سيدنا طلحة رضي الله عنه: كان النبي صلى الله عليه وسلم إذا رآني قال: (أنت) سِلْفي (عديلي) في الدنيا وسِلْفي في الآخرة (الأحاديث المختارة، الرقم: ٨٤٩) हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम मुझे देखते तो आप फ़रमाते: (तुम) दुनिया और आख़िरत में …
और पढ़ो »दुआ मांगने से पहले दुरूद-शरीफ़ पढ़ना
عن عبد الله بن مسعود قال إذا أراد أحدكم أن يسأل فليبدأ بالمدحة والثناء على الله بما هو أهله ثم ليصل على النبي صلى الله عليه وسلم ثم ليسأل بعد فإنه أجدر أن ينجح...
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – २५
हज़रत उमर रज़ि० के वुस्अत तलब करने पर तंबीह और हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) के गुज़र की हालत बीवियों की बाज़ ज़्यादतियों पर एक मर्तबा हुज़ूरे-अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने क़सम खा ली थी कि एक महीने तक उनके पास न जाऊंगा, ताकि उनको तंबीह हो और अलाहिदा ऊपर एक …
और पढ़ो »मुसलमान की सही सोच
हज़रत मौलाना इलियास साहब रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: अपनी तही-दस्ती का यकीन (यानी अपने ना-अहल होने का यकीन) ही कामयाबी है। कोई भी अपने अमल से कामयाब न होगा। महज़ अल्लाह के फज़ल से कामयाब होगा। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम फ़रमाते है: لن يدخل الجنة احد بعمله قالوا …
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