सिला-रहमी हज़रत अब्दुल्लाह बिन अबी औफा रज़ि० फरमाते हैं कि हम शाम को हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हल्के के तौर पर चारों तरफ बैठे थे। हुजूर सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम ने फरमाया कि मज्मे में कोई शख़्स कता-रहमी करने वाला हो तो वह उठ जाए, हमारे …
और पढ़ो »सुबह-शाम दुरूद शरीफ़ पढ़ना
عَن ابي الدرداء رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم مَن صَلَّى عَلَيَّ حِينَ يُصْبِحُ…
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि.) का दुरूद
عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللهُ عَنهُمَا أَنَّهُ كَانَ إذَا صَلَّى عَلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَ…
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम के बहोत ज़्यादह ख़ुश होने का कारण
عن أبي طلحة الأنصاري رضي الله عنه قال أصبح رسول الله صلى الله عليه وسلم يوما طيب النفس يرى في وجهه ا…
क़यामत के दिन नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम से ज़्यादा निकट शख़्स
عَن عَبدِ اللهِ بنِ مَسعُودٍ رَضِيَ اللهُ عَنهُ أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيهِ وَ سَلَّم ق…
दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिए ख़ुशख़बरी
عن عبد الرحمن بن عوف رضي الله عنه قال خرج رسول الله صلى الله عليه وسلم فاتبعته حتى دخل نخلا فسجد فأط…
નવા લેખો
फज़ाइले सदकात – ३
कुर्दी का किस्सा कुर्द एक कबीले का नाम है, उसमें एक शख़्स मशहूर डाकू था। वह अपना किस्सा बयान करता है कि मैं अपने साथियों की एक जमाअत के साथ डाके के लिए जा रहा था। रास्ते में हम एक जगह बैठे थे। वहां हमने देखा कि खजूर के तीन …
और पढ़ो »हज़रत सा’द रदि अल्लाहु अन्हू का बराह-ए-रास्त रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम से नमाज़ का तरीक़ा सीखना
في السنة الحادية والعشرين من الهجرة، أتى بعض أهل الكوفة سيدنا عمر رضي الله عنه وشكوا إليه سيدَنا سعدَ بن أبي وقاص رضي الله عنه أنه لا يصلّي بهم صلاة صحيحة. فسأله سيدُنا عمرُ رضي الله عنه عن ذلك، فقال: أما أنا والله فإني كنت أصلي بهم صلاة رسول الله …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – ४
हज़रत बिलाल हब्शी र’दि अल्लाहु अन्हू का इस्लाम और मसाइब हजरत बिलाल हब्शी र’दि अल्लाहु अन्हू एक मशहूर सहाबी हैं, जो मस्जिदे नबुवी के हमेशा मुअज्जिन रहे। शुरू में एक काफ़िर के गुलाम थे, इस्लाम ले आये जिसकी वजह से तरह-तरह की तकलीफें दिये जाते थे। (मुअज्जिन=अज़ान देने वाले) उमैया …
और पढ़ो »फज़ाइले सदकात – २
अल्लाह त’आला की नेमतें एक हदीस में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह सूरत (सूरह तकाषुर) तिलावत फरमायी और जब यह पढ़ा – ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ फिर उस दिन, नेमतों से सवाल किए जाओगे। तो इर्शाद फरमाया कि तुम्हारे रब के सामने तुमसे ठंडे पानी का …
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