عن أبي حميد أو أبي أسيد الأنصاري رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا دخل أحدكم المسجد فليسلم على النبي صلى الله عليه وسلم ثم ليقل اللهم افتح لي أبواب رحمتك فإذا خرج فليقل اللهم إني أسألك من فضلك (سنن أبي داود، الرقم: 465، وسكت …
और पढ़ो »हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया: عبد الرحمن في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالجنة ف…
फ़रिश्तों की मुसलसल दुआ
عَن عَامِر بن رَبِيَعَة رَضِي اللهُ عَنهُ عَن النّبي صَلَّى اللهُ عَلَيهِ وَ سَلَّمَ قَالَ مَا مِن م…
दुरूद लिखने वाले फ़रिश्ते
عن عقبة بن عامر رضي الله عنه قال : قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : إن للمساجد أوتادا جلساؤهم المل…
हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ियल्लाह अन्हु एक बेहतरीन मुसलमान
नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ियल्लाह अन्हु के बारे में फ़रमा…
अज़ान के बाद दुरूद-शरीफ़ पढ़ना
عن عبد الله بن عمرو بن العاص رضي الله عنهما أنه سمع النبي صلى الله عليه وسلم يقول: إذا سمعتم المؤذن …
નવા લેખો
फज़ाइले-सदकात – ९
‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात चौथी अलामत: चौथी अलामत आख़िरत के उलमा की यह है कि खाने पीने की और लिबास की उम्दगियों और बेहतराईयों की तरफ मुतवज्जह न हो, बल्कि इन चीज़ों में दरमियानी रफ़्तार इख़्तियार करे और बुजुर्गों के तर्ज़ को इख़्तियार करे। इन चीज़ों में जितना कमी की …
और पढ़ो »ख़ानक़ाही लाइन में राहज़न चीजें
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फरमाया: मैं खैर ख्वाही से अर्ज़ करता हूँ, सब सुन लें। याद रखने की बात है कि इस तरीक़ में दो चीजें तालिब के लिए राहज़न और कातिल ज़हर हैं। एक: तावील अपनी गलती की और दूसरी: अपने मुअल्लिम (पीर,शेख,हज़रत) …
और पढ़ो »हजरत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू की दरियादिली
حدثني مغيث بن سمي قال: كان للزبير بن العوام رضي الله عنه، ألف مملوك يؤدي إليه الخراج فلا يدخل بيته من خراجهم شيئا (السنن الكبرى، الرقم: 15787) मुग़ीस बिन सुमय रहिमहुल्लाह कहते हैं: हज़रत ज़ुबैर रद़िय अल्लाहु अन्हू के एक हज़ार गुलाम थे, जो कमाते थे और अपनी कमाई हज़रत …
और पढ़ो »बागे-मुहब्बत (तैंतीसवाँ एपिसोड)
नेक,सालेह आलिम से मशवरा करने की अहमियत “हर फन में उसके माहिर लोगों से मशवरा तलब करना” एक उसूल और ज़ाब्ता है, जो आम तौर पर बयान किया जाता है और जिंदगी के तमाम मरहलों में उस पर अमल किया जाता है। मिसाल के लिए, सोचें कि एक शख़्स अपने …
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