‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात आठवीं अलामत: आठवीं अलामत यह है कि उसका यकीन और ईमान अल्लाह तआला शानुहू के साथ बढ़ा हुआ हो और इसका बहुत ज़्यादा एहतिमाम उसको हो। यकीन ही असल रासुल-माल है। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का इर्शाद है कि यकीन ही पूरा ईमान है। हुजूर सल्लल्लाहु …
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ पढ़ने तक दुआ का मौक़ूफ़ रेहना
عن عمر بن الخطاب رضي الله عنه قال : إن الدعاء موقوف بين السماء والأرض لا يصعد منه شيء حتى تصلى على ن…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की मुबारक ज़िन्दगी में फ़तवा देने का शर्फ़
كان سيدنا عبد الرحمن بن عوف رضي الله عنه من الصحابة الكرام الذين شرفهم الله بالإفتاء على عهد رسول ال…
दुआ की सुन्नतें और आदाब – ७
(१७) बेहतर यह है कि जामे’ दुआ करें। हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं कि हज़रत रसूलुल्ल…
जन्नत में दाख़िल करने वाले अमल को छोड़ना
عن حسين بن علي رضي الله عنهما قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم... …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
નવા લેખો
गुलामों को आज़ाद करने से अफ़ज़ल
عن أبي بكر رضي الله عنه قال: الصلاة على النبي صلى الله عليه وسلم أمحق للخطايا من الماء للنار والسلام على النبي صلى الله عليه وسلم أفضل من عتق الرقاب وحبّ رسول الله صلى الله عليه وسلم أفضل من مهج الأنفس أو قال: من ضرب السيف في سبيل الله رواه …
और पढ़ो »हज़रत अबू-उबैदा रद़िय अल्लाहु अन्हु लोगो में एक बेहतरीन आदमी
हज़रत मुआज़ बिन जबल रद़िय अल्लाहु अन्हु ने हज़रत अबू-उबैदा रद़िय अल्लाहु अन्हु के बारे में फ़र्माया: واللَّه إنه لمن خيرة من يمشي على الأرض (الإصابة ٣/٤٧٧) अल्लाह की कसम! वो (अबू-उबैदा) बेहतरीन लोगों में से हैं जो इस वक़्त ज़मीन पर चल रहे हैं। हज़रत अबू-उबैदा रद़िय अल्लाहु अन्हु …
और पढ़ो »इल्मे-दीन और ज़िक्रे-अल्लाह की अच्छी तरह पाबंदी करना
एक दिन फजर की नमाज़ के बाद, जबकि इस तहरीक में अमली हिस्सा लेने वालों का निजामुद्दीन की मस्जिद में बड़ा मज्मा था और हज़रत मौलाना (इलियास) रह़िमहुल्लाह की तबीयत इस क़दर कमज़ोर थी कि बिस्तर पर लेटे-लेटे भी दो-चार लफ़्ज़ (शब्द) आवाज़ से नहीं फरमा सकते थे, तो ज़ोर …
और पढ़ो »फज़ाइले-सदकात – १२
‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात सातवीं अलामत सातवीं अलामत उलमा-ए-आख़िरत की यह है कि उसको बातिनी इल्म यानी सुलूक का एहतिमाम बहुत ज़्यादा हो। अपनी इस्लाहे-बातिन और इस्लाहे-कल्ब में बहुत ज्यादा कोशिश करने वाला हो कि यह उलूमे-ज़ाहिरिया में भी तरक्की का ज़रिया है। (इस्लाहे-बातिन= बिगड़ी हुई मन की अंदरूनी हालत …
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