हज़रत मौलाना अशरफ़ ‘अली थानवी रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: अदब का दारोमदार सामान्य चलन पर है, ये देखा जाएगा कि ‘उफ़ में यह अदब के खिलाफ समझा जाता है या नहीं। इसी सिलसिले में याद आया कि एक मर्तबा एक खादिम को तंबीह फ़रमाई, जिन्होंने एक ही हाथ …
और पढ़ो »इद्दत की सुन्नतें और आदाब – २
शौहर की वफात के बाद बीवी की इद्दत के हुक्म (१) जब किसी औरत के शौहर का इन्तिका़ल हो जाए, तो उस पर …
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रिश्तों के ज़रिए दुरूद शरीफ़ के बारे में बताया गया
عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من صلى علي عند قبري سمعته ومن صلى عل…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के पसंदीदा
سئلت سيدتنا عائشة رضي الله عنها: أي أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم كان أحب إلى رسول الله؟ قالت: …
सूरह-फलक़ और सूरह-नास की तफ़सीर – प्रस्तावना
قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ ﴿١﴾ مِن شَرِّ مَا خَلَقَ ﴿٢﴾ وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ ﴿٣…
हज़रत अबू-‘उबैदा रद़ियल्लाहु अन्हु के लिए जन्नत की बशारत
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फ़र्माया: أبو عبيدة في الجنة (أي: هو ممن بشّر بالج…
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हज़रत ‘अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु की शान में गुस्ताखी की संगीनी
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: من سبّ عليا فقد سبّني (مسند أحمد، الرقم: ٢٦٧٤٨) जिसने ‘अली को बुरा-भला कहा, यक़ीनन उसने मुझे बूरा-भला कहा। हज़रत ‘अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु के दिल में आख़िरत का ख़ौफ़ कुमैल बिन ज़ियाद रदि अल्लाहु ‘अन्हु बयान करते हैं: एक मर्तबा मैं …
और पढ़ो »हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु का बुलंद तरीन मक़ाम
नबी ए करीम सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने एक मर्तबा हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु से फ़रमाया: ألا ترضى أن تكون مني بمنزلة هارون، من موسى إلا أنه ليس نبي بعدي (صحيح البخاري، الرقم: ٤٤١٦) क्या तुम इस बात पर राजी़ नहीं हो कि तुम मेरे लिए वैसे ही हो …
और पढ़ो »हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक मर्तबा हज़रत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए यह दुआ फ़रमाई: اللّٰهُمَّ أَدِرِ الْحَقَّ مَعَهُ حَيْثُ دَارَ (جامع الترمذي، الرقم: ٣٧١٤) ऐ अल्लाह! हक़ को उनके साथ फेर दें, जिधर वो फिरें। हजरत अली रदि अल्लाहु ‘अन्हु की बहादुरी गज़व ए उहुद …
और पढ़ो »दीनी इदारों की तौहीन करने से परहेज़ करें
शेखुल-हदीस हजरत मौलाना मुह़म्मद ज़करिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: मेरे प्यारो! एक बहुत ही ज़रूरी और अहम बात कहना चाहता रहा; मगर अब तक न केह सका. तुम उलमा ए किराम हो, मुदर्रिस हो, बहुत से मदरसों के नाज़िम भी होंगे, ये मदारिस तुम्हारी बरकत से चल रहे …
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