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बयतुल ख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-४)

८) इस्तिन्जा के लिए बायें हाथ का इस्तिमाल करना. दायें हाथ से इस्तिन्जा करना नाजाईज़ है.

عن عبد الله بن أبي قتادة عن أبيه رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال إذا بال أحدكم فلا يأخذن ذكره بيمينه ولايستنجي بيمينه (صحيح البخاري، الرقم:۱۵٤۔۔۔

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बयतुलख़ला की सुन्नतें और आदाब-(भाग-३)

६) इज़ार (पतलून) और लुंगी वग़ैरह खङें हो कर न उतारना, बल्कि ज़मीन के क़रीब हो कर उतारना (जब बेठने लगे, तब खोलना) ताकि कम से कम सतर ज़ाहिर हो.[1]

عن ابن عمر رضي الله عنهما قال كان النبي صلى الله عليه وسلم إذا أراد الحاجة لا يرفع ثوبه حتى يدنو من الأرض (سنن أبي داود، الرقم: ١٤)...

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बयतुलख़ला की सुन्नतें और आदाब- (भाग-२)

३) बयतुलख़ला में दाख़िल होने से पेहले हर उस चीज़ (मसलन अंगूठी,चैन) को नीकाल देना, ज़िस पर अल्लाह तबारक व तआला या रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि व सल्लम) का नाम लिखा हुवा या क़ुरआने करिम की कोई आयत दर्ज हो...

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मौत के वक़्त कलमए शहादत की तलक़ीन

जो लोग क़रीबुल मर्ग (मरने वाले) के पास बैठे हों, उन के लिए मुस्तहब है के आवाज़ के साथ कलमए शहादत पढ़हें, ताकि उन का कलमा सुन कर क़रीबुल मर्ग (मरनेवाला) भी कलमा पढ़ने लगे.(इस को शरीअत में कलमए शहादत की तलक़ीन कहा जाता है...

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