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क्या मालदार साहिबे निसाब(निर्धारित सरमाये के मालिक) पर अपनी नाबालिग़ औलाद की तरफ़ से सदक़ए फ़ित्र अदा करना वाजिब है?

सवाल – क्या मालदार आदमी पर अपनी नाबालिग़ औलाद की तरफ़ से सदक़ए फ़ित्र अदा करना वाजिब है?

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हालते एतेकाफ़ में मस्जिद से तबरीद ग़ुसल के लिए निकलना

सवाल – ऐक शख़्स मस्जिद में सुन्नत एतेकाफ़ के लिए बेठा है. क्या उस के लिए ठंडक हासिल करने की ग़र्ज से ग़ुसल करने के लिए मस्जिद से निकलना जाईज़ है?

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