हज़रत अबू क़तादा (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जब तुम में से कोई मस्जिद में दाख़िल हो, तो उसे चाहिए के बैठने से पेहले दो रकात नमाज़ अदा करे.”...
और पढ़ो »जन्नत में दाख़िल करने वाले अमल को छोड़ना
عن حسين بن علي رضي الله عنهما قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم... …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
हर शबो रोज़ तीन मर्तबा दुरूद शरीफ़ पढ़ने का षवाब
عن ابي كاهل رضي الله عنه قال قال لي رسول الله صلى الله عليه وسلم... …
तबूक की लड़ाई के अवसर पर हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रद़ियल्लाह अन्हु का अपना माल खर्च करना
لما حضّ رسول الله صلى الله عليه وسلم الصحابة رضي الله عنهم على الإنفاق تجهيزا للجيش لغزوة تبوك، أنفق…
अल्लाह की नज़र से गिरने की एक वजह
एक दीनी मद्रसा के एक मशहूर उस्ताद का ज़िक्र करते हुए हज़रत मौलाना मुह़म्मद इल्यास साहिब रह़िमहुल्लाह…
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सवारी में बैठ कर जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म
एक वक़्त में अनेक मुरदों की जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म
अगर एक वक़्त में बहोत सारे जनाज़े आ जाऐं, तो हर मय्यित की अलग अलग जनाज़े की नमाज़ अदा करना बेहतर है, लेकिन तमाम मुरदों की एक साथ एक जनाज़े की नमाज़ अदा करना भी जाईज़ है...
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ रिज़्क़ में बरकत का ज़रीआ
हज़रत सहल बिन सअद (रज़ि) फ़रमाते हैं के एक मर्तबा एक सहाबी नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ख़िदमत में हाज़िर हुवे और आप से ग़रीबी तथा धन के अभाव की शिकायत. तो नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने उन से फ़रमाया के...
और पढ़ो »वालिदैन के इन्तिक़ाल के बाद उनकी आझाकारिता का तरीक़ा
“जिस किसी ने अपने माता-पिता की ज़िंदगी में उन की सेवा तथा आझा का पालन न किया हो बाद में उन के इन्तिक़ाल के बाद उस की तलाफ़ी (प्रायश्र्वित) की शकल भी हदीष से षाबित है. वह यह के...
और पढ़ो »सुरए तीन की तफ़सीर
क़सम है इन्जीर की और ज़ैतून की (१) और तूरे सीनीन (सयना के पहाड़) की (२) और इस अमन वाले शहर की(मक्का मुअज़्ज़मा की) (३)...
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