(२) जनाज़ा को तेज़ी से ले कर चलना मसनून है, लेकिन दोड़ना नहीं चाहिए और न ही इतना ज़्यादह तेज़ चलना चाहिए के मय्यित का जिस्म एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ हिलने लगे...
और पढ़ो »हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु का इस्लाम के खातिर तक्लीफें बर्दाश्त करना
خاطب سيدنا سعيد بن زيد رضي الله عنه الناس يوما فقال للقوم: لو رأيتني موثقي عمر (أي: وإن عمر لموثقي) …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء فتحرك (الجبل ورجف)، فقال رسول الله صلى الله عليه …
दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले के लिए नबी सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की शफ़ाअत
عن أبي هريرة عن النبي صلى الله عليه وسلم قال من قال اللهم صل على محمد وعلى آل محمد كما صليت على إبرا…
हज़रत सईद बिन ज़ैद (रद़ियल्लाहु अन्हु) के लिए जन्नत की खुशखबरी
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम) हज़रत सईद बिन ज़ैद (रद़ियल्लाहु अन्हु) के बारे में इ…
तमाम अहम काम और तमाम फ़िक्र
عن أبي بن كعب رضي الله عنه قال قلت يا رسول الله إني أكثر الصلاة عليك فكم أجعل لك من صلاتي ؟... …
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मुसीबत की हालत के अहकाम
“अगर मुसीबत हमारे किसी भाई मुसलमान पर नाज़िल हो तो उस को अपने ऊपर नाज़िल समझा जावे उस के लिए वैसी ही तदबीर की जाए जैसा के अगर अपने ऊपर मुसीबत नाज़िल होती तो उस वक़्त ख़ुद करते.”...
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ४
निकाह की कामयाबी के लिए और मियां बिवी के दरमियान स्नेह व मुहब्बत बाक़ी रेहने के लिए ज़रूरी है के दोनों एक दूसरे के समान और बराबर हो. जब मियां बिवी में जोड़ हो, तो बाहमी स्नेह और एकता होगी और हर एक ख़ुशी और मुहब्बत के साथ अपनी वैवाहिक ज़िम्मेदारीयों को पूरा करेगा...
और पढ़ो »मुहब्बत का बग़ीचा (तीसरा प्रकरण)
नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने अपनी वफ़ात से पेहले हज़रत फ़ातिमा (रज़ि.) को ख़ुश ख़बरी दी थी के “तुम जन्नत की सारी औरतों की मलिका (रानी) बनोगी”...
और पढ़ो »जनाज़े की नमाज़ में ताख़ीर (देरी)
बड़ी जमाअत की उम्मीद में जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है. इसी तरह अगर किसी का जुम्आ के दिन इन्तिक़ाल हो जाए, तो यह उम्मीद कर के जुम्आ की नमाज़ के बाद ज़्यादह लोग जनाज़े की नमाज़ में शिर्कत करेंगे, जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है...
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