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बारह ज़िल हिज्जह को ग़ुरूबे शम्स से पेहले धर लौटने वाले मुसाफ़िर पर क़ुर्बानी

सवाल – एक शख़्स दस, ग्यारह और बारह ज़िल हिज्जह को सफ़र की हालत में था, मगर वह बारह ज़िल हिज्जह को सूरज के ग़ुरूब होने से पेहले धर वापस आ गया, तो क्या उस पर क़ुर्बानी वाजिब होगी?

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अज़ान और इक़ामत की सुन्नतें और आदाब-(भाग-७)

अज़ान देने के समय निम्नलिखित सुन्नतों और आदाब का लिहाज़ रखा जाए (१) निय्यत का दुरूस्त होना. अज़ान से महज़ रज़ाऐ इलाही की निय्यत हो. عن ابن عباس أن النبي صلى الله عليه وسلم قال: من أذن سبع سنين محتسبا كتبت له براءة من النار (سنن الترمذي رقم ۲٠٦) हज़रत …

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