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क़यामत के दिन से संबंधित अक़ाईद

(१) क़यामत जुम्आ के दिन वाक़िअ होगी. क़यामत का दिन इस दुनिया का आख़री दिन होगा. उस दिन में अल्लाह तबारक व तआला पूरी काईनात(सृष्टि) को तबाह व बरबाद कर देंगे. क़यामत का ज्ञान सिर्फ़ अल्लाह सुब्हानहु व तआला को है. अल्लाह तआला के अलावह कोई नही जानता है कब इस दुन्या का अंत होगा और कब क़यामत आएगी...

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क्या जनाज़े की नमाज़ में जामअत शर्त है?

जनाज़े की नमाज़ की सिह्हत के लिए जमाअत शर्त नहीं है. चुनांचे अगर एक शख़्स भी मय्यित की जनाज़े की नमाज़ अदा करले, तो जनाज़े की नमाज़ दुरूस्त होगी, चाहे वह(जनाज़े की नमाज़ पढ़ने वाला) मुज़क्कर(मर्द) यो या मुअन्नत(स्त्री), बालिग़ हो या नाबालिग़. हर सूरत में जनाज़ की नमाज़ अदा हो जाएगी...

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उमूरे ख़ैर का हुसूल

उहद की लड़ाई में हुज़ूरे अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने दरयाफ़्त फ़रमाया के सअद बिन रबीअ (रज़ि.) का हाल मालूम नही हुवा के क्या गुज़री. एक सहाबी(रज़ि.) को तलाश के लिए भेजा वह शुहदा की जमाअत में तलाश कर रहे थे...

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अपने आमाल(कार्यों) से संतुष्ट नहीं होना

मेरे दोस्तो ! बहोत एहतियात रखो अपनी किसी हालत को अच्छा समझकर  उस पर इतरावो मत, हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद (रज़ि.) का फ़रमान है के ज़िन्दा आदमी ख़तरे से बाहर नहीं...

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सुरए अलम नशरह़ की तफ़सीर

क्या हम ने आप का सीना (ईल्म तथा हिल्म से) कुशादा नहीं कर दिया (१) और हम ने आप पर से आप का वह बोझ उतार दिया (२) जिस ने आप की क़मर तोड़ रखी थी (३) और हम ने आप के लिए आप का आवाज़ा(शोहरत) बुलंद किया (४)...

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