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अपने आमाल(कार्यों) से संतुष्ट नहीं होना

मेरे दोस्तो ! बहोत एहतियात रखो अपनी किसी हालत को अच्छा समझकर  उस पर इतरावो मत, हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद (रज़ि.) का फ़रमान है के ज़िन्दा आदमी ख़तरे से बाहर नहीं...

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सुरए अलम नशरह़ की तफ़सीर

क्या हम ने आप का सीना (ईल्म तथा हिल्म से) कुशादा नहीं कर दिया (१) और हम ने आप पर से आप का वह बोझ उतार दिया (२) जिस ने आप की क़मर तोड़ रखी थी (३) और हम ने आप के लिए आप का आवाज़ा(शोहरत) बुलंद किया (४)...

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तक़दीर से संबंधित अक़ाईद

(१) तक़दीर का मतलब है तमाम चीज़ों के बारे में अल्लाह तआला का जामेअ और मुहीत इल्म (व्यापक ज्ञान) यअनी अल्लाह तआला को तमाम चीज़ों का इल्म पेहले ही से है, चाहे वह छोटी तथा बड़ी हो, चाहे वह अच्छी तथा बुरी हो, चाहे वह भूत काल से तथा वर्तमान काल से या आईन्दा होने वाले ज़माने से संबंधित हो...

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मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-१)

हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ि.) फ़रमाया करते थे के “मस्ज़िद में दाख़िल होने के समय दायां पैर पेहले दाखिल करना और निकलते समय बायां पैर पेहले निकालना सुन्नत में से है.”...

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