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दुरूद शरीफ़ ग़ुर्बत दूर करने का ज़रीआ

हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के एक मर्तबा नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के मुझे किसी आदमी के माल से इतना नफ़ा नहीं हुवा जितना मुझे हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ (रज़ि.) के माल से नफ़ा हुवा...

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इस्लाम में फ़र्ज़ और नफ़ल का स्थान

“फ़राईज़ का स्थान नवाफ़िल से बहोत उच्चतर है बलकि समझना चाहिए के नवाफ़िल से मक़सूद ही फ़राईज़ की तकमील या उन की कोताहियों की तलाफ़ी होती है इसलिए के फ़राईज़ असल हैं...

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मुहब्बत का बग़ीचा (दूसरा प्रकरण)

यक़ीनन करूणता व मुहब्बत का यह निराला जौहर हमारे आक़ा सरकारे दो आलम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के तमाम अख़लाक़े आलिया(उच्च संस्कार) और अवसाफ़े हमीदा(नीराली सभ्यता) के अंदर थे और आप के यही मुबारक किरदार(व्यव्हार) को मखलूक़े इलाही दीन-रात मुशाहदा करते(देखते) थे. जो बहोस से लोगों के इस्लाम लाने का कारण बना.۔۔

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जनाज़े की नमाज़ की इमामत का सब से ज़्यादह हक़दार कौन है?

इस्लामी मुल्क में जनाज़े की नमाज़ की इमामत के लिए सब से मुक़द्दम मुस्लिम हाकिम है. शरीअत ने मुस्लिम हाकिम को जनाज़े की नमाज़ पढ़ाने का हक़ दिया है.

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हदिया देना सुन्नत है

p style="text-align: center;">“एक मौलवी साहब के सुवाल के जवाब में फ़रमाया के हदिया देना सुन्नत है जब सुन्नत है तो उस में बरकत कैसे न होगी न होने के क्या मअना۔۔۔

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