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निकाह़ की सुन्नतें और आदाब – १

निकाह हमारे रसूल (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम,) की मुबारक सुन्नतों में से हैं और अल्लाह तआला के बड़े इन्आमात में से भी हैं. क़ुर्आने मजीद में अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने निकाह को अपनी क़ुदरत की बड़ी निशानियों में से एक निशानी शुमार किया है...

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इमाम और मुक़तदी से संबंधित अहकाम

(१) जनाज़े की नमाज़ में इमाम और मुक़तदी दोनों तकबीरें कहेंगे और दुआऐं पढ़ेंगे. दोनों मे मात्र इतना फ़र्क़ है के इमाम तकबीरें और सलाम बुलंद आवाज़ से कहेंगे और मुक़तदी आहिस्ता आवाज़ से कहेंगे. जनाज़े की नमाज़ की दीगर चीज़ें (षना, दुरूद और दुआ) इमाम और मुक़तदी दोनों आहिस्ता पढ़ेंगे...

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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम का मुबारक नाम सुन कर दुरूद पढ़ने का षवाब

हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ि.) से मरवी है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस व्यक्ति के सामने मेरा वर्णन किया जाए, उस को मुझ पर दुरूद भेजना चाहिए, इसलिए के जो मुझ पर एक बार दुरूद भेजता है, अल्लाह तआला उस पर दस बार दुरूद (रहमतें) भेजते हैं.”...

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दोस्ती और दुश्मनी में ऐअतेदाल(संयम) की ज़रूरत

हद से गुज़र कर हर चीज़ मज़मूम(निंदा के लाईक़) है. हदीष में तालीम (शिक्षा) है के हद से गुज़र कर दोस्ती मत करो मुमकिन है के किसी दीन नफ़रत हो जावे. इसी तरह हद से गुज़र कर दुश्मनी मत करो मुमकिन है के फिर तअल्लुक़ात(रिश्ते) दोस्ती के हो जाऐं...

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क़यामत के दिन से संबंधित अक़ाईद

(१) क़यामत जुम्आ के दिन वाक़िअ होगी. क़यामत का दिन इस दुनिया का आख़री दिन होगा. उस दिन में अल्लाह तबारक व तआला पूरी काईनात(सृष्टि) को तबाह व बरबाद कर देंगे. क़यामत का ज्ञान सिर्फ़ अल्लाह सुब्हानहु व तआला को है. अल्लाह तआला के अलावह कोई नही जानता है कब इस दुन्या का अंत होगा और कब क़यामत आएगी...

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