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जनाज़े की नमाज़ में ताख़ीर (देरी)

बड़ी जमाअत की उम्मीद में जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है. इसी तरह अगर किसी का जुम्आ के दिन इन्तिक़ाल हो जाए, तो यह उम्मीद कर के जुम्आ की नमाज़ के बाद ज़्यादह लोग जनाज़े की नमाज़ में शिर्कत करेंगे, जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है...

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महबूब आक़ा का फ़रमान

शेख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़करिय्या साहब (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः  “लोग अपने पूर्वजो से, ख़ानदान से और इसी तरह बहोत सी चीज़ों से अपनी शराफ़त तथा बड़ाई ज़ाहिर किया करते हैं, उम्मत के लिए गर्व का ज़रीआ कलामुल्लाह शरीफ़ है के उस के पढ़ने से उस के …

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मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-५)

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस व्यक्ति ने जुम्आ के दिन लोगों की गरदनें फांदी, उस ने (अपने लिए) जहन्नम में जाने का पुल बना लिया.”...

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दुरूद शरीफ़ ग़ुर्बत दूर करने का ज़रीआ

हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के एक मर्तबा नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के मुझे किसी आदमी के माल से इतना नफ़ा नहीं हुवा जितना मुझे हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ (रज़ि.) के माल से नफ़ा हुवा...

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