दूरी की हालत में अपनी रूह को ख़िदमते अक़दस (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) में भेजा करता था, वह मेरी नाईब बन कर आस्ताना मुबारक चूमती थी, अब जिस्मों की हाज़री की बारी आई है अपना दस्ते मुबारक अता कीजिये, ताकि मेरे होंठ उस को चूमें...
और पढ़ो »हज़रत उम्मे-सलमह रद़ियल्लाहु अन्हा की हज़रत सईद बिन-ज़ैद रद़ियल्लाहु अन्हु को अपनी नमाज़े-जनाज़ा पढ़ाने की वसीयत
أوصت أم المؤمنين السيدة أم سلمة رضي الله عنها أن يصلي عليها سعيد بن زيد رضي الله عنه (مصنف ابن أبي ش…
तजीयत की सुन्नतें और आदाब – 1
मुसीबतज़दा लोगों के साथ ताज़ियत (संवेदना व्यक्त करना) इस्लाम एक सम्पूर्ण और व्यापक जीवन-प्रणाली है। …
एक दुरूद के बदले सत्तर इनाम
عن عبد الرحمن بن مريح الخولاني قال سمعت أبا قيس مولى عمرو بن العاصي يقول: سمعت عبد الله بن عمرو يقول…
अल्लाह त’आला की बेपनाह रहमतें
عن ابن عمر وأبي هريرة رضي الله عنهم قالا قال رسول الله صلى الله عليه وسلم صلوا علي صلى الله عليكم...…
मस्जिद के काम
हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास साहब (रह़िमहुल्लाह) ने एक मर्तबा इर्शाद फ़रमाया: मस्जिदें, मस्जिदे-नबवी …
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सुरए तकाषुर की तफ़सीर
بِسۡمِ اللّٰہِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِیۡمِ اَلۡہٰکُمُ التَّکَاثُرُ ۙ﴿۱﴾ حَتّٰی زُرۡتُمُ الۡمَقَابِرَ ؕ﴿۲﴾ کَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ۙ﴿۳﴾ ثُمَّ کَلَّا سَوۡفَ تَعۡلَمُوۡنَ ؕ﴿۴﴾ کَلَّا لَوۡ تَعۡلَمُوۡنَ عِلۡمَ الۡیَقِیۡنِ ؕ﴿۵﴾ لَتَرَوُنَّ الۡجَحِیۡمَ ۙ﴿۶﴾ ثُمَّ لَتَرَوُنَّہَا عَیۡنَ الۡیَقِیۡنِ ۙ﴿۷﴾ ثُمَّ لَتُسۡـَٔلُنَّ یَوۡمَئِذٍ عَنِ النَّعِیۡمِ ﴿۸﴾ एक दूसरे से ज़्यादा (दुनयवी साज़ो सामान) हासिल करने …
और पढ़ो »अल्लाह तआला से हंमेशा हुस्ने ज़न की ज़रूरत
जब बंदे के ऊपर अल्लाह तआला के हर क़िसम के एहसानात हैं और फिर भी बंदा अल्लाह तआला के साथ अपना गुमान नेक न रखे, बलके यही ख़्याल करता रहे के अल्लाह तआला मुझ से नाराज़ हैं, तो यह कितना बुरा ख़्याल है...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – २
तकबीरे तहरीमा केहते वक़्त अपने सर को सीधा रखें. तकबीरे तहरीमा केहते वक़्त अपने सर को न तो आगे की तरफ़ झुकायें और न पीछे की तरफ़, बलके बिलकुल सीधा रखें...
और पढ़ो »जुम्आ के दिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से अस्सी (८०) साल के गुनाहों की माफ़ी और अस्सी (८०) साल की इबादतों का षवाब
जुम्आ के दिन असर की नमाज़ के बाद अपनी जगह से उठने से पेहले अस्सी (८०) मर्तबा नीचे लीखा हुवा दुरूद पढ़ता है उस के अस्सी (८०) साल के गुनाह माफ़ कर दिये जाते हैं और उस को अस्सी (८०) साल की इबादतों का षवाब मिलता हैः اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ النَّبِيِّ الْأُمِّيِّ وَعَلٰى آلِهِ وَسَلِّمْ تَسْلِيْمًا “ए अल्लाह ! उम्मी नबी मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) और उन की आलो औलाद पर ख़ूब ख़ूब दुरूदो सलाम भेज.”۔۔۔
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